१६ दिसम्बर । इस्सयोग की साधना न केवल अत्यंत सहज,सरल और आडंबर रहित हैबल्कि ब्रह्मप्राप्ति और राजमुक्ति में भी सहायक है। सद्ग़ुरु से शक्तिपात दीक्षा ग्रहण करप्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में नियमित साधना कर हज़ारों साधक अपना आत्मिक उत्थान कर रहे हैं।

यह बातें आज यहाँ गोलारोड स्थित एम एस एम बी भवन में अन्तर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के तत्त्वावधान मेंआयोजित शक्तिपातदीक्षा कार्यक्रम में अपना आशीर्वचन देती हुईं संस्था की अध्यक्ष एवं ब्रह्मनिष्ठ सद्गुरुमाता माँ विजया जी ने कही। माताजी ने कहा किसच्चेज्ञान और सच्चे गुरु के अभाव में आज का मानव त्रितापों से ग्रस्त है। अपनी हीं अज्ञानता के कारण मनुष्य सारी भौतिक उन्नति के बाद भी कष्टपूर्ण जीवन जी रहाअपने जीवन से असंतुष्टहताश और निराश है। इस्सयोग का सहज मार्ग पीड़ा से मुक्ति का द्वार खोलता है।यह आडंबररहित एक अत्यंत सहज और गुरूकृपा से सरलता से की जाने वाली दुर्लभ फलदाई आध्यात्मिक साधनापद्धति है। यह स्वयं और स्वयं में स्थित परमचैतन्य को जानने की सहजग्राह्य साधनापद्धति है। इसकी क्रिया मन को साधने की भी प्रक्रिया है।

इसके पूर्व माताजी ने तीन सौ से अधिक नवजिज्ञासु स्त्रीपुरुषों कोइस्सयोग की सूक्ष्म आंतरिक साधना आरंभ करने के लिए आवश्यक शक्तिपातदीक्षा प्रदान की। कार्यक्रम का आरंभभजनगायक बीरेन्द्र राय और भजनसंयोजिका किरण प्रसाद के संयोजन में,इस्सयोग की विशिष्ट शैली में किए जाने वाले अखंड भजनसंकीर्तन से किया गया। प्रसाद वितरण के साथ दीक्षाकार्यक्रम संपन्न हुआ।

यह जानकारी देते हुए संस्था के संयुक्त सचिव उमेश कुमार ने बताया किइस अवसर पर संस्था के संयुक्त सचिव श्रीप्रकाश सिंहश्रीमती सरोज गुटगुटियाबिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभशिवम् झामंजू देवी राजीव कुमार रंजनप्रदीप गायत्रीप्रभात झाआनंद कुमार खरेरवि प्रभाकरराकेश कुमारपीयूष अनामिका तथा रविकान्त समेत बड़ी संख्या में संस्था के अधिकारीस्वयंसेवक तथा साधकगण उपस्थित थे।

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