भागलपुर दंगा न्यायिक जांच आयोग के कार्यकाल को बिहार सरकार ने 14 वीं बार विस्तार कर दिया है. भगालपुर में 1989-90 में भीषण दंगा हुआ था.

दंगा पीड़ित मलिका बेगम( फाइल फोटो, मिली गजट)
दंगा पीड़ित मलिका बेगम( फाइल फोटो, मिली गजट)

विनायक विजेता

भागलपुर दंगा न्यायिक जांच आययोग का गठन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी सरकार बनने के 2 महीने बाद फरवरी 2006 में किया था. इस एकल जांच आयोग की जिम्मेदारी पटना हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज एनएन सिंह को सौपीं गयी थी.

छह मीने में रिपोर्ट देने को कहा गया था. लेकिन मामलों की पेचीदगी को देखते हुए जांच का काम आसान नहीं था. इस कारण इस आयोग की कार्य अवधि को हर छह महीने पर विस्तार किया गया. इस बार इस आयोग का कार्यकाल 28 फरवीरी 2014 तक समाप्त हो रहा था. इस बीच इस आयोग का कार्याकल अगले छह महीने के लिए फिर बढ़ा दिया गया था.

भागलपुर में अक्टूबर 1989 में हुए इस साम्प्रदायिक दंगे में 800 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. इन में अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय के थे. इस समय बिहार में कांग्रेस का शासन था और मुख्यमंत्री के रूप में भागवत झा आजाद काम कर रहे थे. दंगे इतने भीषण थे कि महीनों तक इस पर काबू नहीं पाया जा सका था.

बाद में कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने भागवत झा आजाद को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया था.

इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने कांग्रेस को बुरी तरह हरा दिया था.
1990 में लालू प्रसाद जब मुख्यमंत्री बने तो इस दंगे की जांच शुरू हुई पर इसमें कुछ खास प्रगति नहीं हुई. लेकिन 2005 में जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने दंगे की फिर से जांच करने के लिए आयोग बनाया और दंगे में हताहत हुए आश्रितों के लिए पेंशन की स्कीम शुरू की.

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