सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम (एमएसएमई) राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) गिरिराज सिंह ने कहा है कि सरकार की विभिन्‍न योजनाओं के जरिए देश की एमएसएमई को दी जा रही सहायता के कारण उनमें वैश्‍विक कंपनियों के साथ प्रतिस्‍पर्धा करने और चौथी औद्योगिक क्रांति का हिस्‍सा बनने की क्षमता है।

Giriraj singh
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नौकरशाही डेस्क

नई दिल्‍ली में आज 15वें वैश्विक सूक्ष्म्, लघु और मध्यम उद्यमों के व्या‍पार सम्मेलन को संबोधित करते हुए गिरिराज सिंह ने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, ऋण देने की सुविधा और तकनीकी सहायता तथा सरकार की उन्‍नयन पहलों के साथ हमारे एमएसएमई दुनिया के एसएमई में शामिल हो गए हैं। उन्‍होंने कहा कि सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यमों के लिए ऋण गारंटी निधियन ट्रस्‍ट (सीजीटीएमएसई) से एमएसएमई को दी गई वित्‍तीय सहायता और प्रधानमंत्री के रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के जरिए पिछले चार वर्षों में 19 लाख नए उद्यमों का सृजन किया गया है, जो करीब 3 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं।

श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि निर्यात के अलावा देश के जीडीपी में भी देश के एमएसएमई का हिस्‍सा के बढ़ रहा है। उन्‍होंने कहा कि तकनीकी सहायता और एमएसएमई उद्योगों को आधुनिक बनाने के तहत 10 नए प्रौद्योगिकी केन्‍द्र जल्‍दी ही काम करने लगेंगे। इसके अलावा 18 प्रौद्योगिकी केन्‍द्र अच्‍छा कार्य कर रहे हैं। उन्‍होंने आशा व्‍यक्‍त की कि वैश्‍विक शिखर सम्‍मेलन देश के एमएसएमई को अंतर्राष्‍ट्रीय बाजारों को समझने का अवसर प्रदान करेगा और उन्‍हें अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में शामिल होने के लिए प्रोत्‍साहित करेगा।

अपने उद्घाटन भाषण में वाणिज्‍य एवं उद्योग तथा नागर विमानन मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि वाणिज्‍य मंत्रालय के औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग द्वारा तैयार नई औद्योगिक नीति से देश के एमएसएमई बड़े पैमाने पर लाभान्‍वित होंगे। इसे जल्‍दी ही मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल जाएगी।

एमएसएमई सचिव डॉ. अरूण कुमार पांडा ने कहा कि जीएसटी लागू होने के साथ ही एमएसएमई के लाभ की दिशा में भारी परिवर्तन देखने को मिला है। उन्‍होंने बताया कि 10 लाख से अधिक एमएसएमई का जीएसटीएन के साथ पंजीकरण हो चुका है और वे औपचारिक क्षेत्र का हिस्‍सा बन चुके हैं, जिससे उन्‍हें राष्‍ट्रीय और वैश्‍विक मूल्‍य श्रृंखलाओं के साथ जुड़ने का अवसर मिला है।

एसएमई के लिए ग्‍लोबल शिखर सम्‍मेलन हर वर्ष आयोजित किया जाता है और भारत तथा दुनिया भर के नीति निर्माता, सीईओ और शिक्षाविद इसमें भाग लेते हैं। पिछले शिखर सम्‍मेलन में अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, रूस, जर्मनी, फ्रांस, थाइलैंड, पुर्तगाल, न्‍यूजीलैंड, इटली, मिस्र, चीन, संयुक्‍त अरब अमीरात और चेक गणराज्‍य सहित 15 से अधिक देशों के अंतर्राष्‍ट्रीय प्रतिनिधियों ने हिस्‍सा लिया था।

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