मोदी सरकार द्वारा योजना आयोग के खात्मे के ऐलान के बाद अब परिवहन मंत्री निति गडकरी ने अपने मंत्रालय के तहत काम करने वाले आरटीओ का काम स्वाहा करने की बात कह दी है.gadkari

नौकरशाही डेस्क

ध्यान रहे कि आरटीओ मोटरवाहन नियमों के पालन से लेकर ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का काम करता है.

गडकरी ने आरटीओ के खात्मे के पीछे जो तर्क दिये हैं वह यह है कि यह परिवहन विभाग के ये कार्यालय देश के भ्रष्टतम कार्यालयों में से हैं.

यह समझने की बात है कि भ्रष्टाचार खत्म करने का यह तरीका ठीक वैसा ही है जैसे शरीर का कोई अंग बीमार हो तो उसे काट डाला जाये. बजाये इसके कि उस अंग का इलाज किया जाये, उसे काट देने का मतलब है कि यह सरकार पलायनवादी है. फिर सवाल यह भी है कि सरकार देश के किन-किन विभागों और कार्यालयों को समाप्त करके भ्रष्टचार से निजात हासिल कर लेगी? इसी तरह का भ्रष्टाचार समाहरणालय, रजिस्ट्री आफिस, क्सट के तमाम कार्यालय, उत्पाद शुल्क कार्यलय गोया कि कमोबेश तमाम दफ्तरों का यही आलम है तो क्या नितिन गडकरी का अनुसरण करते हुए तमाम दफ्तरों में ताला जड़ दिया जाये?

 

केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी का कहना है कि वह आरटीओ विभागों को खत्म करके इसकी जगह ऐसा कानून लाएंगे जिसके तहत सारे ट्रैफिक नियमों का पालन हो केंगे.और आरटीओ डिपार्टमेंट की अवश्यकता नहीं पड़ेगी. गडकरी का कहना है कि चालान लोगों के घर पर पहुंचा करेगा और चालान की भरपाई कोर्ट के जरिए हुआ करेगी.

 

गडकरी यह क्यों भूल रहे हैं कि आरटीओ के कार्यालयों में हजारों की संख्या में स्टाफ और अधिकारी हैं, उनकी रोजी रोटी का क्या होगा? गडकरी का यह बयान सरकार में निजी घरानों के हस्तक्षेप की आशंका को मजबूत करता है. वैसे भी मोदी सरकार ने देश में पीपीपी यानी पब्लिक-प्राइट पार्टनरशिप को बढ़ावा देने के लिए निजी घरानों की झोली भरने की नीति की वकालत कर चुके हैं. लेकिन सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि निजी घरानों को ठेके पर काम सौंप कर वह काम की लागत को कई गुना बढ़ाने पर मजबूर होंगे जिसका आखिरकार आम जनता को नतीजा भूगतना पड़ेगा.

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