राजनीतिक नेतृत्व द्वारा नौकरशाहों को कठपुतली की तरह इस्तेमाल करना भ्रष्टाचार का बड़ा कारण है.कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त संतोष हेगड़े ने कहा है कि यह काम ब्यूरोक्रेसी पर छोड़ देना चाहिए.

कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त संतोष हेगड़े ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा है कि वे आईएएस अधिकारियों के तबादले का अधिकार नौकरशाही पर छोड़ें.उनके अनुसार ऐसा करने से प्रशासनिक तंत्र में पार्दशिता बनाये रखने और भ्रष्टाचार को नियंत्रण में लाने में मदद मिलेगी.

हेगड़े ने कहा कि अधिकारियों की यह एक आम शिकायत है कि उनका तबादला किसी उचित पॉलिसी को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि राजनीतिक नेतृत्व के दबाव में किया जाता है.

हाल ही में राबर्ट वाड्रा-डीएलएफ जमीन सौदेबाजी को रद्द करने वाले आईएएस अधिकारी अशोक खेमका का अचानक तबादला कर देने की घटना के बाद अधिकारियों के तबादले का मामला फिर से चर्चा में आ गया है.

हेगड़े ने कहा कि नौकरशाहों के तबादले को लेकर आईएएस अधिकारियों में बड़े पैमाने पर नाराजगी देखी जाती है और यह नाराजगी काफी हद तक उचित भी लगती है.

उन्होंने कहा कि ऐसे तबादलों से प्रशासनिक तंत्र की कारकरदगी पर उलटा प्रभाव पड़ता हैं. उन्होंने कहा के अधिकारियों के तबादले किये जाने के क्रम में इस बात का जरूर ख्याल रखा जाना चाहिए कि उन्हें एक विशेष पद पर एक निर्धारित अवधि तक काम करने का अवसर मिले.

हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और राज्य के भूचकबंदी महानिदेशक अशोक खेमका का अचानक ट्रांस्फर कर दिया गया था. इसके बाद उन्होंने इस बात पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि उनके 20 साल के कार्यकाल में 43 बार तबादला किया गाया. कई बार तो उन्हें ज्वाइनिंग के महज चंद महीने के भीतर हटा दिया गया.

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