सरकार के मंत्री और पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह की करतूत को आर्म्ड फोर्सेज ट्राइब्युनल ने उजागर किया है जो मोदी सरकार को शर्मशार करने वाली है. पढिए क्या कहा ट्राइब्युनल ने.vk.singh

आर्म्ड फोर्सेज ट्राइब्यूनल (एएफटी) ने पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह के बारे में साफ कहा है कि उन्होंने आर्मी चीफ रहते हुए मिलिटरी कोर्ट को अपनी मर्जी से प्रभावित किया. इतना ही नहीं एफटी ने यह भी कहा कि वीके सिंह ने कई आला अधिकारियों को प्रताड़ित किया जिससे भारतीय फोज का सर शर्म से झुक गया. वीके सिंह के इस रवैये को गंभीरता से लेते हुए एएफटी ने फोज पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.

ज्ञात हो कि आर्म्ड फोर्सेज ट्राइब्युनल का फोज में वही रोल है जो सिविल सोसाइटी में अदालतों का है. नियमानुसार फोज के मामलों पर एएफटी ही फैसले करता है.
जब वीके सिंह आर्मी चीफ थे उन्होंने ने फोज के एक आला अिकारी लेफ्टिनेंट जनरल पीके रथ का कोर्ट मार्शल करवाया था. जिसे जांच के बाद एएफटी ने पाया कि वह दोषी नहीं थे. इसलिए एएफटी ने लेफ्टिनेंट जनरल रथ को कोर्ट मार्शल से मुक्त कर दिया है. वह 33वीं कोर में तैनात थे. एएफटी ने सम्मान को चोट पहुंचाने के एवज में इन्हें इंडियन आर्मी को 1 लाख रुपये देने का निर्देश दिया है.

क्या था मामला

2011 में कोर्ट मार्शल के तहत जनरल रथ और मिलिटरी सेक्रेटरी लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश को पश्चिम बंगाल के सुकना में मिलिटरी कॉन्टेन्मेंट के पास 70 एकड़ प्लॉट में एजुकेशनल इंस्टिट्यूट बनाने के लिए प्राइवेट बिल्डर को दिए गए नो ऑबजेक्शन सर्टिफिकेट में दोषी पाया गया था. अब ट्राइब्यूनल ने आर्मी के इस दावे को खारिज कर दिया है कि एजुकेशनल कॉम्पलेक्स का निर्माण खतरा बन सकता था. ट्राइब्यूनल ने कहा है कि सुकना स्टेशन के करीब हर तरह की सिविलियन ऐक्टिविटी सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है. लेकिन ट्राइब्युनल ने अपनी जांच में पाया कि यह बात बिल्कुल गलत साबित हुई है.
इस मामले को तूल देने का काम वीके सिंह ने इस्टर्न आर्मी कमांडर के रूप में किया था.अपनी याचिका में एएफटी से जनरल रथ ने आरोप लगाया था कि जनरल वी. के. सिंह ने इस मामले को अनावश्यक रूप से तुल दिया क्योंकि जनरल अवधेश प्रकाश के खिलाफ उनकी गंभीर शत्रुता थी। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि वी. के. सिंह जन्म तिथि और अपनी सेवा विस्तार के मामले में जनरल अवधेश प्रकाश को बाधा मानते थे।

ट्राइब्यूनल ने जन्म तिथि विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी वजह से जनरल वी. के. सिंह को सेना का उप-प्रमुख नहीं बनाया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि उनके मन में प्रतिशोध की भावना आ गई। इसके लिए उन्होंने मिलिटरी सेक्रेटरी के जिम्मेदार ठहराया और बदले की भावना से काम किया। सिंह ने मौका मिलते ही अपने विरोधियों को निशाना बनाया।

वीके सिंह भारतीय आर्मी के चीफ थे. रिटायरमेंट के पहले उम्र छुपाने का उन पर आरोप लगा. वह चाहते रहे कि उन्हें अगल एक साल तक आर्मी चीफ रहना चाहिए पर उनका दावा खारिज कर दिया गया. रिटायरमेंट के बाद वह राजनीति में आ गये. पहले अन्ना हजारे के साथ जुड़े और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में रहे. लेकिन चुनाव के ठीक पहले वह भाजपा में शामिल हुए और लोकसभा चुनाव लड़े. चुनाव जीतने के बाद नरेंद्र मोदी ने उन्हें स्वतंत्र प्रभार का मंत्री बना दिया.

 

By Editor