मदरसा में नामांकन के लिए जा रहे बच्चों को जबरन बालमजदूर घोषित कर केस ठोकने वाले पुलिस अधिकारी कृष्ण मोहन यादव पर  मानवाधिकार आयोग ने एक लाख जुर्माना ठोका है.

देवेश चंद्र ठाकुर के प्रयासों से मिली  बच्चों को राहत
देवेश चंद्र ठाकुर के प्रयासों से मिली बच्चों को राहत

 

बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने सीतामढ़ी के मो. शमशाद व मो. इरशाद पर फर्जी केस ठोकने और छह महीने तक जेल में गुजारने पर मजबूर करने वाले पुलिस अधिकारी कृष्ण मोहन यादव पर एक लाख रुपये जुर्माना ठोका है. इन के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी होग.
दर असल मो. शमशाद और मो. इरशाद दोनों अपने गांव कन्हवां के 17 बच्चों को पुणे में एक मदरसे में दाखिला दिलाने ले जा रहे थे. इसी बीच किसी ने शिकायत थाने में कर दी और पुलिस अधिकारी कृष्ण मोहन यादव ने बिना तफ्तीश किये फर्जी तौर पर उनके खिलाफ चाइल्ड लेबर का केस ठोक दिया. इतना ही नहीं बच्चों को रिमांड होम भेज दिया जबकि दोनों को जेल भेज दिया गया. इस बीच बच्चों के मां-बाप और यहां तक कि बच्चों का भी बयान पुलिस ने दर्ज नहीं किया.
एक तरह से यह मामला अनुसना रह गया था. लेकिन जब इस पूरी घटना की जानकारी एमएलसी देवेश चंद्र ठाकुर को मिली तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया. और इस मामले को बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग तक पहुंचाया. आयोग ने इस पर सुनवाई की. और दोषी आईओ के ऊपर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया. इस रकम मे से मो. शमशाद व मो. इरशाद को 50-50 हजार रुपये हर्जाने के तौर परर मिलेंगे.

By Editor