प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि भारत न तो किसी की जमीन कब्जाना चाहता है और न ही किसी के संसाधनों को हथियाना चाहता है, बल्कि इसकी नीति मानवीय मूल्यों पर आधारित है और इसने हमेशा विश्व पटल पर सकारात्मक भूमिका निभायी है। 

 

श्री मोदी ने नई दिल्‍ली में पहले प्रवासी सांसद सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने कभी भी किसी देश के प्रति अपनी नीति को फ़ायदे-नुकसान के तराजू पर नहीं तोला है,  बल्कि उसे मानवीय मूल्यों के परिप्रेक्ष्य से देखा है। उन्होंने कहा कि भारत का विकास सहायता देने का मॉडल भी ‘देने और लेने’ पर आधारित नहीं है, बल्कि यह उन देशों की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।  उन्होंने कहा कि भारत की न तो किसी के संसाधनों का दोहन करने की मंशा रही है और न ही किसी की जमीन पर हमारी नज़र है। हमारा ध्यान सदैव क्षमता, निर्माण और संसाधनों के विकास पर रहा है। द्विपक्षीय, बहुपक्षीय कोई भी मंच हो चाहे वो कॉमनवेल्थ हो, इंडिया-अफ्रीका फोरम समिट हो, हम प्रत्येक मंच पर सभी को साथ लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रत्यनशील रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि भारत ने आसियान देशों के साथ संबंधों को मजबूत बनाकर उन्हें ठोस रूप प्रदान किया है। भारत-आसियान संबंधों का भविष्य कितना उज्ज्वल है, इसकी झांकी अब से कुछ दिनों बाद गणतंत्र दिवस पर पूरी दुनिया देखेगी जब दस आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष गणतंत्र दिवस पर बतौर अतिथि शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि भारत समूचे विश्व में सुख, शान्ति, समृद्धि, लोकतांत्रिक मूल्यों, समावेशिता, सहयोग और भाई-चारे का पक्षधर रहा है।

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