गया के मेयर विभा देवी पर मारपीट के एक नहीं तीन मामले दर्ज हैं. वहीं दूसरी ओर गया पुलिस के खिलाफ इस मामले में लीपापोती करने पर अवमानना का मामला दर्ज करने की तैयारी है.

अस्पतालकर्मियों से बात करती मेयर विभा देवी
अस्पतालकर्मियों से बात करती मेयर विभा देवी

विनायक विजेता

मामला गया नगर निगम की महिला महापौर विभा देवी से जुड़ा है। विभा देवी गया के जिस वार्ड से जीतती हैं उसी वार्ड अंतर्गत कंडी-नवादा मोहल्ले की एक 45 वर्षीय महिला किशोरी देवी को बीते 29 नवम्बर को गया के पीलग्रीम अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था जहां दूसरे दिन उस महिला की मौत हो गई। महिला के परिजनों का आरोप था कि चिकित्सकों की लापरवाही से उस महिला की मौत हुई।

महिला की मौत की सूचना पाकर अस्पताल पहुंची मेयर विभा देवी पर आरोप है कि उन्होंने चिकित्सकों के साथ मारपीट की जबकि उस दिन अस्पताल में हुए वाकये की तस्वीर कहीं यह बयां नहीं कर रहा कि अस्पताल में मारपीट हुई। हां घटना के दिन गया के डिप्टी मेयर अखौरी ओंकार नाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव जिनका की मेयर से 36 का संबंध रहा है, की घटना के दिन अस्पताल के उपाधीक्षक जेड हसन से की जा रही गुफ्तगू की तस्वीर इस मामले में हुई साजिश को इंगित कर रही है।

ये वही उपमहापौर मोहन श्रीवास्व हैं जिन्हें बीते 6 जनवरी की रात पटना के होटल में दो युवतियों के साथ रंगरेलियां मनाते रंगे हाथ गिरफ्तार करने के बाद जेल भेज दिया गया। महिला की मौत के बाद विभा देवी ओर उनके समर्थकों पर चिकित्सकों से मारपीट करने और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने की तीन अलग-अलग प्राथमिकियां (467/13, 468/13 व 469/13) बीते 30 नवम्बर को दर्ज की गई। एक ही दिन दज की गई इन तीनों प्राथमिकियों में पहली प्राथमिकी चिकित्सक ने, दूसरी ड्यूटी पर तैनात होमगार्ड के एक जवान ने तथा तीसरी प्राथमिकी अस्पताल के उपाधीक्षक जेड हसन ने करायी।

सूत्र बताते हैं कि इस मामले में चिकित्सक द्वारा दिए गए पहले फर्दबयान को नजर अंदाज कर दिया गया जबकि सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टीस की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधानपीठ ने एक रीट पीटीशन (68/2008) पर सुनवाई करते हुए बीते 12 नवम्बर 2013 को यह फैसला सुनाया था कि संविधान की धारा 154 के तहत किसी पीड़ित के पहले फर्दबयान को ही एफआईआर माना जाए।
पर गया पुलिस ओर उसके अधिकारियों ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को धत्ता बता गुजरात पुलिस के कामों की पुनरावृति कर दी। सूत्र बताते है कि गया के सीजेएम कोर्ट ने भी इस मामले में संज्ञान लेते हुए पुलिस को नोटिश जारी की है वहीं उच्च न्यायालय में भी इस मामले में एक याचिका दायर की गई है।

विभा देवी के अधिवक्ता और गया के चर्चित वकील मदन तिवारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गया पुलिस द्वारा की गई अवमानना मामले को वह सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने पर विचार कर रहें हैं। मदन तिवारी अरुप ब्रह्मचारी और पटना के रुबन अस्पताल पर 80 लाख रुपए के हर्जाना मामले को लेकर सुर्खियों में रहे हैं।

By Editor