नवल शर्मा जेएनयू में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे की आड़ में  नरेंद्र मोदी सरकार के रवैये और भाजपा की राजनीति पर जोरदार प्रहार कर रहे हैं.jnu2

‘ जेएनयू ‘ यानि जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय . पहले यह संस्था अच्छी भली थी , पर इधर जब से मोदी जी की सरकार बनी , यह देशद्रोही हो गयी है . पता चला इन देशद्रोहियों का कोई सरगना भी पकड़ा गया है जिसका नाम कन्हैया है . पर क्या ऐसा है ? अजी बिलकुल नहीं ! मामला पूरी तरह ‘ प्लांटेड ‘ और ‘ प्रोजेक्टेड ‘ है .

पाखंड

जिस दिन आप जेएनयू की हवाओं में तैरती उस विद्रोही और मुक्तिकामी चेतना से रूबरू होंगे जिसे देखते ही राजनीतिक पाखण्ड और समाज को तोड़ने वाली ताकतें अपना रास्ता बदल लेती हैं , आपको मेरी बातें सही लगने लगेंगी . सिविल सेवा की तैयारी के दिनों में कुछ मित्रों से मिलने को मेरा भी जेएनयू जाना होता था . मैंने बड़े करीब से जेएनयू की आत्मा को महसूस किया है.सबकुछ तो आपका है , सारी समस्या आपके साथ है . उसकी तो केवल अपनी विद्रोही चेतना मात्र है ,आज़ादी से प्यार है , गरीब –अमीर – दलित – पिछड़े –हिन्दू –मुसलमान सबको देखने का मानवतावादीनजरिया है और सबसे बढ़कर किसी भी तरह के शोषण और अन्याय के सामने सर न झुकानेवाली बुलंदी है .

लानत है मोदी जी आपपर ! मंच पर आप युवाविकास की बात करते हैं और जमीन पर युवाओं की स्वतंत्रता का गला घोंटने के लिए किसी सीमा तक जाने को तैयार हैं . आरएसएस का एजेंडा आपके सरकारी कार्यक्रमों और नीतियों में तेजी से झलकते जा रहा है . क्या दोष है जेएनयू का ? यही न कि वह संस्थान आपके भगवा एजेंडे की राह का रोड़ा है , शिक्षा के भगवाकरण और देश के सांप्रदायिक विभाजन की आपकी योजना की विद्रोही मुखालफत करने की क्षमता सबसे ज्यादा अगर किसी संस्थान में है तो वह है जेएनयू . और आप भी जानते हैं की बात अगर जेएनयू से निकलेगी तो दूर तलक जाएगी . तो जैसी आपसे अपेक्षा रहती है ,आपने वही किया . संस्थान को ही नक्सली और देशद्रोही घोषित कर दिया .  मोदी जी समस्या वहाँ नहीं है , समस्या आपके साथ है. आपकी सांप्रदायिक मुहावरेदारी वाली कथनी और करनी , गरीब विरोधी कॉर्पोरेट समर्थक आर्थिक नीति और कट्टर सांस्कृतिक नीति के चलते पूरे देश में जो विद्रोह का माहौल बन रहा , जेएनयू उसी को तो प्रतिबिंबित कर रहा है .

कभी जेएनयू परिसर में जाइए मोदीजी

सबकुछ तो आपका है , सारी समस्या आपके साथ है . उसकी तो केवल अपनी विद्रोही चेतना मात्र है ,आज़ादी से प्यार है , गरीब –अमीर – दलित – पिछड़े –हिन्दू –मुसलमान सबको देखने का मानवतावादीनजरिया है और सबसे बढ़कर किसी भी तरह के शोषण और अन्याय के सामने सर न झुकानेवाली बुलंदी है . मोदीजी इतना भी आप नहीं सह सकते ! कभी जेएनयू के परिसर में खुले दिल से जाइए , छात्रों की संवेदना में ईमानदारी से भागीदार बनिए , तब देखिये . छात्रों की जवान अल्हड शिराओं में दौड़ते हुए खून का सामाजिक सरोकार आपको चकित कर देगा . एक पल पूस की कडकडाती ठंड में अगर ये छात्र आपकी आर्थिक नीति के विरोध में रोड पर नारे लगाते दिखेंगे तो दूसरे पल वसंत विहार थाने के सामने सुजाता की रिहाई के लिए के लिए प्रदर्शन करते दिख पड़ेंगे . जानते हैं सुजाता कौन है ! ये वही सुजाता है जिसने नौसेना में पत्नियों की अदलाबदली के मुद्दे पर जोरदार आवाज उठाई थी जिसका इनाम दिल्ली पुलिस ने लात घुसे से दिया था .

 

आप ही के प्लांटेड लोग थे जेएनयू में

यह तो एक बानगी मात्र है . व्यवस्था में जहाँ भी अन्याय होगा, शोषण होगा , दमन होगा वहाँ जेएनयू बोलेगा और जेएनयू बोलेगा तो देश सुनेगा . इसलिए मोदी जी आप भी सुन लीजिये . आप यही न चाहते हैं कि पूरे मामले को पाकिस्तान विरोध और कश्मीर पर केन्द्रित कर दिया जाए ताकि आपकी नाकामियों पर चर्चा ही नहीं हो .  मोदी जी पाकिस्तान विरोध की आड़ में आपका सांप्रदायिक एजेंडा भी चकाचक चलता रहे . पर लोग आपके मंसूबे को समझ चुके हैं . लोग जान गए हैं कि देश की गद्दी पर पहली बार एक ऐसा व्यक्ति बैठ गया है जो लम्बी चौड़ी डिंग हांकने और ठसकबाजी के बूते राज चला रहा है. तो ऐसी हवा में आपकी गाडी कब तक खिंचाएगी , आप खुद सोंच लीजिये . अब लोग जान गए हैं की जेएनयू में पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगानेवाले लोग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के लोग थे. ये आपही के प्लांटेड लोग थे . बदल लीजिये अपनी रणनीति को. अगर जेएनयू से लड़ना है तो अपनी वैचारिक तलवार को बदल डालिए . जो नौजवान आपको देशद्रोही लगते हैं जरा अन्याय से लड़ने वाली उनकी युयुत्सा को भी नजदीक से देखिये . अपने सामाजिक सरोकार और रचनात्मक क्रांतिधर्मिता के आगे इन मतवालों को अपने कैरिएर की भी चिंता नहीं रहती . इसलिए छोड़ दीजिये जेएनयू को. यह भारत की मुक्तिकामी चेतना का स्मारक है . मत छीनिये युवाओं के सपनो को , राष्ट्रीय अखंडता से कोई समझौता किसी को पसंद नहीं , पर इसकी आड़ में राजनीति बंद कीजिये !

naval.sharmaलेखक जद यू के प्रवक्ता हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी हैं.

 

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