हम जिंदा लाश नहीं, जिंदा कौम हैं जो हो जाये हम कागज नहीं दिखायेंगे-Ashfaque Rahman

 जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान ने एक पत्रिका को दिये इंटर्व्यू से मुस्लिम समाज में खलबली मच गयी है.

उनका कहना है कि मुस्लिम धर्म गुरुओं को न तो राजनीति आती है ना उनके खून में राजनीति है. 

दाढ़ी, टोपी ईमान बेचते हैं मौलाना

उनका कहना है कि जो भी मौलाना राजनीति में सक्रिय हैं यह सब फर्जी मौलाना है. यह अपनी दाढ़ी-टोपी और ईमान बेचते हैं. अगर यह मुस्लिम धर्मगुरु हैं तो उनका काम यह देखना है कि मजहब के उसूलों पर लोग सुचारू रूप से चलते हैं या नहीं. कोई मुस्लिम गलत ना करें यह देखने का काम इन मौलानाओं का है उनके यहां दारुल इफ्ता और दारुल कजा है इसे देखना उनका काम है वे राजनीति में अगर आते हैं तो आप पहले ही समझ लीजिए कि वह अति महत्वाकांक्षी हैं और अपनी दाढ़ी और टोपी को भी बेचने के लिए ही सियासत का रुख करते हैं. ऐसे मौलानाओं में से ज्यादातर फर्जी हैं.ये मौलाना धर्म का चेला पहनकर राजनीति में घुस आते हैं और खुलेआम भ्रष्टाचार फैलाते हैं.

मौलाना वली रहमानी कुर्सी के लिए किया सौदा

अशफाक रहमान ने  एक पत्रिका को दिये इंटर्व्यू में सियासी मौलानाओं पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि  उनके अंदर किसी भी तरह की संवेदनशीलता नहीं है. अशफाक रहमान ने मजहबी संस्था इमारत शरिया के अधिकारियों पर भी हमला बोला और कहा कि एक इमारत शरिया के अमीरे शरियत हैं, मैंने तो उनको भी देखा और जांचा परखा. वह हैं वली रहमानी. जिन्होंने इतना बड़ा ज्ञान देश बचाओ  दीन (धर्म) बचाओ सम्मेलन और फला बचाओ के नाम पर दे दिया और उस और अपने चेले को विधान परिषद में घुसा दिया. अशफाक ने इमारत शरिया के अमीर मौलाना वली रहमानी का नाम ले कर कहा कि इनकाआचरण बड़ा ही विवादास्पद है.
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पथभ्रष्ट हैं मौलाना  कासमी

इमारत शरिया लगभग 100 साल पुरानी संस्था है. वली रहमानी जैसे लोग फाउंडर ट्रस्टी बन गए. यह सब कुछ चीजें ऐसी हैं जो समझने की हैं. इमारत शरिया मुस्लिमों की भलाई के लिए बनाई गयी थी और अब उसमें भी खुल के राजनीति हो रही है. उन्होंने कहा कि उसमें जो भी लोग बैठे हुए हैं उनके काम को देखिए. वहां के नाजिम ( मौलाना अनीसुर रहमान कासमी) को देखिए वह हज कमेटी के चेयरमैन बनने चले जाते हैं. वह यह पद नाजिम होने की हैसियत से प्राप्त भी कर लेते हैं.  तो यह वह लोग हैं जो असल धर्मगुरु नहीं है यह पथ भ्रष्ट लोग हैं. और इस्लाम धर्म को बदनाम करने में तबाह करने में इन्हीं लोगों का हाथ है.
अशफाक रहमान यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा हमारे राज्य और देश के मौलाना एक प्रकार की ब्राह्मणवादी व्यवस्था को स्थापित करने में लगे हुए हैं जो कि भारत में अब नाकारा जा चुका है पर इस व्यवस्था को या दाढ़ी और टोपीवाले पुनः स्थापित करने के फिराक में हैं.
 
 
जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान ने कहा कि इनक बहुरूपिय मौलानाओं की वजह से ही सही मुस्लिम नेतृत्व कभी ना उभर पाया. और ना कभी उभर पाएगा. आज मुसलमानों की पहचान सत्ता की दलाली करने वालों में क्या शुमार है. इसलिए कि सत्ता की दलाली करके और धर्म का डर पैदा करके यह सही राजनीति करने वालों को सामने नहीं आने दे रहे हैं.
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यह पूछे जाने पर कि आप एक मुसलमान होकर मौलाना की धज्जियां उड़ा रहे हैं तो अशफाक ने बड़ी गंभीरता से कहा देखिए मुसलमान होने से पहले मैं एक इंसान हूं एक भारतवासी हूं. और इस राज्य का बाशिंदा हूं तो क्या मेरा फर्ज नहीं बनता कि मैं सच का साथ दूं. और गलत का विरोध करूं?
 
 

कीमत मिले तो मौलाना अपना जमीर भी बेच दें

मैंने जो भी कहा है उस पर मैं कायम हूं. सच यह है कि हमारे मौलाना बिकने के लिए सदैव तैयार रहते हैं खुद भी बिकते हैंअपनी जमीर को भी बेच देते हैं.अगर खरीददार सही कीमत चुका दें तो यह सबसे पहले बिकने को तैयार होते हैं. इन्होंने कभी भी अपने समाज के लिए कोई काम नहीं किया पहले अल्पसंख्यक समाज के लोग लगभग 30- 33% ततक सरकारी नौकरियों में थे जो आज तकरीबन 3% रह गए हैं. पहले के मौलाना सियासत से दूर रहने वाले थे उनका एक रुतबा था. सरकार उनकी इज्जत किया करती थी पर आज के मौलाना सत्ता की चापलूसी करना गर्व की बात समझते हैं.
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 हिंदुओं से डराने की नीति

 अशफाक रहमान ने कहा कि  वे ( ज्यादातर मौलाना लोग)  राजनीति में घुसकर मुस्लिम वोट बैंक का सौदा करने की कोशिश करते हैं और मुस्लिम समाज को बहुसंख्यक हिंदुओं का डर दिखाकर बुजदिल बनाने में लगे रहते हैं. आप ही बताइए मौलानाओं के पास इतनी जायदाद कैसे आ गयी है. इनके पास बहुत जायदाद हैं जिससे सरकार को किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं मिलता है. जब भी कोई सियासी जमघट हो यह तो तुरंत चले आते हैं यह आशीर्वाद भेजते हैं.

 इस्लाम को किया बदनाम

 
अशफाक रहमान ने कहा कि  इस्लाम जिंदगी जीने का तरीका बताता है और पैगम्बर मोहम्मद साहब ने हम लोगों को सही राह बतायी. लेकिन इनमें से अधिकतर धर्मगुरुओं ने धर्म का चेला पहन कर इस मजहब की ऐसी की तैसी कर दी है जिसकी वजह से आज मुसलमान  बदनामी के शिकार हो रहे हैं.
 
अशफाक रहमान ने कहा कि शायद ही कोई ऐसा  मौलाना पूरे भारत में आपको  मिलेगा जिसने कभी भी मुसलमान के लिए कुछ किया हो. हकीकत तो यह है कि ज्यादातर मौलाना अपने मजहब की भी नहीं जानता. सच तो यह है कि देश के अधिकतर मौलाना अल्लाह को तो मानते हैं पर अल्लाह की बात नहीं मानते. यह कुरान को मानते हैं पर पैगंबर मोहम्मद साहब की कही गई किसी बात को नहीं मानते.  इन मौलानाओं में ज्यादातर वैसे हैं जो साइंस एंड टेक्नोलॉजी इस्तेमाल खुद के लिए करते हैं पर अपने यहां के लोगों को साइंस और टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ने देना नहीं चाहते.  अपनी नाकामियों के लिए दूसरों पर दोष देते हैं.
 

By Editor