यहां हिंदू खुद बनाते हैं ताजिया और मुसलमानों के साथ ताजिया मिलान में होते हैं शरीकTazia-Hindu-Darbhanga
मधुबनी से दीपक कुमार
आज जब पूरी दुनिया में आशूराके मौके पर इमाम हुसैन की शहादत को लोग याद कर रहे हैं ऐसे में दरभंगा के अलीनगर में साम्प्रदायिक भाईचारे की अद्भुत परम्परा फिर से दोहराई जा रही है.
गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल कायम करते हुए बिहार में दरभंगा जिले का एक हिंदू समुदाय पिछले 60 वर्षों से ताजिया बनाने का काम करता आ रहा है.
ये सिर्फ ताजिया बनाते ही नहीं हैं, बल्कि मुहर्रम के मौके पर ताजिया मिलान में भी मुसलमान भाइयों के संग शरीक होते हैं. गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल कायम रखते हुए बिहार के दरभंगा जिले का एक हिंदू समुदाय पिछले 60 वर्षों से ताजिया बनाने का काम करता आ रहा है.
ये लोग सिर्फ ताजिया बनाते ही नहीं हैं, बल्कि मुहर्रम के मौके पर ताजिया मिलान में भी मुसलमान भाइयों के साथ शरीक होते हैं. ये आलम अलीनगर के थाना प्रभारी राम नारायण प्रसाद के लिए कोई अचरज से कम नहीं. वो कहते हैं, आज तक की अपने कई जगह पोस्टिंग के दौरान ऐसा नहीं देखा.
दोनों समुदाय मुहर्रम मानते हैं. इसकी जितनी तारीफ की जाए, कमतर है. दरभंगा के अलीनगर गांव में ये नजारा हर साल दिखाई देता है. यहां हिन्दू धर्म के महतो समुदाय के लोग मुहर्रम आते ही हरकत में आ जाते हैं. वो भी मुस्लिम बस्ती में नहीं बल्कि हिन्दू टोले में महतो समुदाय के सदस्य पूरी निष्ठा से ताजिया का निर्माण खुद से करते हैं. साथ ही ताजिया को लेकर मुहर्रम के दिन ताजिया मिलान में शामिल भी होते हैं.
अलीनगर के मीर साहब के सामने ताजिया को रखते हैं. फिर अलीनगर के 21 मुहर्रम कमेटियां जो मिलान के लिए अलीनगर हाट मैदान मे जमा होती हैं, उनमें ये महतो समुदाय के लोग अपने ताजिया को लेकर पहुचते हैं और मिलान करते हैं.

By Editor