केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह के साकारात्मक आश्वासन के बाद यूपीएससी परीक्षा के प्रारूप के खिलाफ अनशन कर रहे छात्रों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया है.

सरकार द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि सांसद मनोज तिवारी और अन्य नेताओं ने अनशन कर रहे छात्रों को फल का रस पिलाया जिसके बाद औपचारिक तौर पर अनशन खत्म कर दिया गया। .

सिविल सेवा के प्रदर्शनकारी उम्मीदवार यह मांग कर रहे थे कि ग्रामीण इलाकों के छात्रों और गैर अंग्रेजी भाषी छात्रों के साथ समानता के लिए सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड परीक्षा (सीसैट) को बदला जाए.

इस आंदोलन के बाद देश भर में छात्रों के प्रति सहानुभूति बढ़ती जा रही थी. इसके बाद सरकार ने इस मुद्दे पर गौर करने के लिए यूपीएससी से कहा था. साथ ही 24 अगस्त की परीक्षा को जरूरी पड़ने पर स्थगित करने का भी आश्वासन दिया था. सरकार के साकारात्मक रुख के बाद छात्रों ने अनशन वापस लेने की घोषणा कर दी.

सरकार ने उनकी शिकायतों पर गौर करने के लिए तीन सदस्यीय एक समिति का गठन किया है. केंद्र सरकार ने कल संसद में कहा ‘‘हम मामले के महत्व को देखते हुए समिति से प्रक्रिया को तेज करने और जल्द से जल्द रिपोर्ट तैयार करने के लिए लिख रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम माननीय सदस्यों और छात्रों को कहना चाहेंगे कि भाषा के आधार पर किसी तरह के पूर्वाग्रह की इजाजत नहीं होगी।

 

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