बिहार का सर्वाधिक प्रतिष्‍ठापूर्ण सीट बन गयी है राघोपुर। वैशाली जिले की इस सीट पर लालू यादव व नीतीश कुमार दोनों की प्रतिष्‍ठा दांव पर लगी हुई है। इस सीट से लालू यादव के पुत्र तेजस्‍वी यादव मैदान में हैं। इस सीट का प्रतिनिधित्‍व राबड़ी देवी भी कर चुकी हैं, हालांकि पिछले विधान सभा चुनाव में जनता ने उन्‍हें पराजित कर दिया था। उनकी जगह पर राजद के कार्यकर्ता रहे सतीश कुमार को जदयू के टिकट पर विधान सभा में भेजा था।PPP

वीरेंद्र यादव,  राघोपुर से लौटकर 

 

लेकिन इस बार राजद व जदयू के साथ आने के बाद सतीश बेटिकट हो गए। उन्‍होंने अब भाजपा का दामन थाम लिया और उसी के टिकट पर चुनाव भी लड़ रहे हैं। राघोपुर का चुनाव इसलिए भी रोचक हो गया है कि तेजस्‍वी के कैरियर की शुरुआत हो रही है, जबकि कमल के साथ सतीश की नयी पारी शुरू हो रही है।

 

यादव झार के राजद के सा‍थ

राघोपुर के दर्जनों लोगों से बातचीत के बाद यह तथ्‍य उभर कर सामने आया कि यादव वोटर पूरी तरह से राजद के साथ हैं, जबकि सवर्णों का बड़ा तबका सतीश कुमार के साथ खड़ा है। पासवान जाति का भी एकमुश्‍त समर्थन भाजपा के साथ है। लेकिन जाति का गणित ऐसा है कि यादव एक तरफा पोल कर दे तो अन्‍य जातियों की एकता भी जीत नहीं दिला सकती है। सतीश इसी दलदल में फंस गए हैं।UUU

 

अपना-अपना दावा

जीत तेजस्‍वी या सतीश किसी के लिए आसान नहीं है। दोनों के अपने-अपने दावे और समीकरण हैं, जिन्‍हें खारिज भी नहीं किया जा सकता है। नाश्‍ते के एक दुकानदार ने कहा कि इस बार झार कर यादव राजद को वोट दे रहे हैं। भाजपा से उम्‍मीदवारी का दावा कर रहे एक नेता अब राजद के कार्यालय चला रहे हैं। यह भी आश्‍चर्यजनक है कि कार्यालय के अलावा कहीं भी बैनर या पोस्‍टर किसी पार्टी का नजर नहीं आया। प्रचार के नाम पर गाडि़यां लाउड स्‍पीकर लेकर घूम रही हैं। कार्यकर्ता भी गायब हैं, लेकिन वोटर मुस्‍तैद। हर दिन किसी न किसी बड़े नेता की सभा हो रही है। सभाओं में भीड़ भी दिख रही है, लेकिन भीड़ किसका वोटर है, इसका अंदाज लगाना मुश्किल है। बड़े नेताओं को देखने और सुनने के लिए भी भीड़ जुटती है।TTT

 

पटना से लगा है राघोपुर

पटना के जेठुली के पास गंगा पार करने के बाद ही राघोपुर शुरू हो जाता है। दो प्रखंडों राघोपुर व विदुपुर को‍ मिलाकर बना है राघोपुर विधान सभा क्षेत्र। क्षेत्र की सामाजिक बनावट यादव प्रभुत्‍व वाला है, लेकिन सवर्ण को हाशिए पर नहीं धकेला जा सकता है। यहां का चुनाव परिणाम में उन जातियों की भूमिका महत्‍वपूर्ण होगी, जो आमतौर पर चर्चा में नहीं रहती हैं। हवा का रुख 28 अक्‍टूबर को मतदान के दिन ही स्‍पष्‍ट हो पाएगा, लेकिन आकलनों की चर्चा जारी रहेगी।

By Editor

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