योगी आदित्‍यनाथ, अब ‘योगी’ नहीं हैं। योग से सत्‍ता तक की यात्रा में उनका बहुत कुछ बदल चुका है। यूपी का सीएम पद संभालने के बाद यूपी के शब्‍दों में ‘ठाकुर’ और बिहार के शब्‍दों में ‘राजपूत’ हो गये हैं। और भाजपा उनका अब इसी रूप में इस्‍तेमाल करना चाहती है।

 

 

बिहार भाजपा के पास कोई मजबूत राजपूत चेहरा नहीं है, जो राजपूतों को पार्टी की ओर आकर्षित कर सके। भाजपा ने राधामोहन सिंह को पार्टी का प्रदेश अध्‍यक्ष बनाकर राजपूतों को जोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हो पायी थी। यह अलग बात है कि लालू विरोध के नाम सवर्ण, जिसमें राजपूत जाति भी शामिल है, भाजपा के साथ जुड़े रहे। लेकिन अब भाजपा राजपूतों को कैडर बनाने के लिए योगी आदित्‍यनाथ को आगे किया है। इसी कोशिश में आगामी 27 मई को पटना में योगी आदित्‍यनाथ की सभा का आयोजन किया जा रहा है।

 

योगी आदित्‍यनाथ को भाजपा राजनाथ सिंह के विकल्‍प के रूप में तैयार करना चाहती है। कट्टर हिंदुत्‍ववादी होने के चेहरे का लाभ भी भाजपा उठाना चाहती है। बिहार भाजपा के पास कोई राजपूत चेहरा नहीं है। वैसी स्थिति में राजपूतों के लिए योगी आदित्‍यनाथ मान्‍य नेता हो सकते हैं। इसकी संभावना भी ज्‍यादा है।

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