बिहार सरकार ने आज राज्यकर्मियों के देय महंगाई भत्ता को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया है और इसके साथ ही राज्य में पूर्ण शराबबंदी को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से देसी शराब एवं ताड़ी के कारोबार से पारंपरिक रूप से जुड़े अत्यंत निर्धन परिवारों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए ‘सतत जीविकोपार्जन योजना’ को स्वीकृति प्रदान कर दी ।


मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के प्रधान सचिव अरूण कुमार सिंह ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राज्यकर्मियों के देय महंगाई भत्ता को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी । उन्होंने बताया कि छठा केंद्रीय वेतन आयोग के अनुसार अपुनरीक्षित वेतनमान में वेतन और पेंशन प्राप्त कर रहे राज्य सरकार के सरकारी सेवकों को एक जनवरी 2018 के प्रभाव से 139 प्रतिशत की जगह 142 प्रतिशत महंगाई भत्ता को स्वीकृति दी गई। इसके साथ ही पाचवें केंद्रीय वेतन आयोग के अनुसार अपुनरीक्षित वेतनमान में वेतन और पेंशन प्राप्त कर रहे राज्य सरकार के सरकारी सेवकों को महंगाई भत्ता की दरों में एक जनवरी 2018 के प्रभाव से 268 प्रतिशत के स्थान पर 274 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलेगा।
इस मौके पर ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने बताया कि मंत्रिमंडल ने देसी शराब एवं ताड़ी के कारोबार से पारंपरिक रूप से जुड़े अत्यंत निर्धन परिवारों के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए ‘सतत जीविकोपार्जन योजना’ को भी स्वीकृति प्रदान की है । उन्होंने बताया कि इस योजना का मुख्य मकसद देसी शराब या महूआ की चुलाई या ताड़ी के व्यापार में पीढ़ियों से अवैध रूप से जुड़े निर्धनतम परिवारों को मुख्य धारा में शामिल करना है । श्री चौधरी ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत आगामी तीन वर्ष में 840 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे।

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