जदयू सरकार के नौ साल पूरे होने के मौके पर जारी होने वाले रिपोर्ट कार्ड में राज्‍य सरकार की उपलब्धियों की चर्चा होगी। लेकिन प्रशासनिक महकमा इस मुद्दे पर चर्चा में लगा है कि रिपोर्ट कार्ड में पूर्व सीएम नीतीश कुमार की तस्‍वीर होगी या नहीं। निश्चित रूप से जदयू सरकार के नौंवे वर्ष में भी नीतीश कुमार छह माह तक मुख्‍यमंत्री थे। आज भी जीतनराम मांझी सरकार उनकी कृपादृष्टि से चल रही है। वैसे में उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती है और यदि उन्‍हें रिपोर्ट कार्ड में जगह मिलती है तो विपक्षी दल हाय-तौब मचाएंगे।

नौकरशाही ब्‍यूरो

 

वर्ष दो हजार तेरह में जून महीने में नीतीश कुमार ने भाजपा के सभी 11 मंत्रियों को बर्खास्‍त कर दिया था। उन विभागों को अपने पास ही रख लिया था। पिछले साल के रिपोर्ट कार्ड में बर्खास्‍त किए गए मंत्रियों की चर्चा तक नहीं हुई थी, जबकि सात माह के वह सरकार की उपलब्धियों के हकदार थे। यही बात इस बार प्रशासनिक अधिकारियों को परेशान किए हुए है। इससे मुक्ति की राह तलाश की जा रह है।

 

सीएम हाउस के सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट कार्ड में ‘नीतीश कुमार की उपस्थिति’ पर सीएम भी कुछ निर्णय नहीं कर पा रहे हैं। जीतन राम मांझी नीतीश को न ढोना चाहते हैं और छोड़ना चाहते हैं। इस दुविधा के बीच सरकार की उपलब्धियों के आंकड़े तलाशे जा रहे हैं। लगभग सभी विभागों के आंकड़े उपलब्‍ध हो गए हैं। आंकड़ों के विश्‍लेषण का काम भी लगभग पूरा हो गया। रिपोर्ट कार्ड प्रकाशन की प्रक्रिया में है, मामला तस्‍वीरों को लेकर उलझ गया है। इस संबंध में नीतीश कुमार के आदेश की प्रतीक्षा है। उसी के अनुरूप फोटो को चयन कर रिपोर्ट कार्ड को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।

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