गया के शेरघाटी के अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी राम सज्जन कुमार पर एक डाक्टर से लड़की की डिमांड करने के आरोप के मद्देनजर निलंबित कर दिया गया है. एक माह में ये चौथे न्यायिक पदाधिकारी हैं जिन पर इस तरह के आरोप लगे हैं.
supremecourtइससे पहले तीन न्यायिक पदाधिकारी बिहार के विभिन्न जिलों की अदालतों के जज व सब जज हरिनिवास गुप्ता, कोमल राम व जेएन सिंह को नेपाल के विराटनगर में एक होटल में लड़कियों के साथ पकड़े जाने के बाद निलंबित कर दिया गया था. इस घटना के बाद शेरघाटी के अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी राम सज्जन कुमार का मामला सामने आया है.

दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार शेरघाटी अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डा. आरपी सिंह ने आरोप लगाया था कि न्यायिक पदाधिकारी उन पर दबाव बनाते हैं कि वह उनके आवास पर नर्स को भेजें. हालांकि डाक्टर के इस आरोप को बेबुनियाद बताते हुए न्यायिक पदाधिकारी ने कहा है कि चूंकि उन्होंने एक केस में उनके खिलाफ संज्ञान लिया था इसलिए उन्होंने उन पर गंभीर आरोप लगाया है.

अस्पताल के अधीक्षक डा.राजेन्द्र प्रसाद सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी.जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि ये दोनों रात में उनके घर पर आए तथा जातिबोधक संबोधन करते हुए उनसे र्दुव्यावहार किया. जबकि अनुमंडल अधीक्षक श्री सिंह प्राथमिकी में दर्ज तिथि और समय के वक्त शेरघाटी के एक अधिकारी के स्थानांतरण उपरांत विदाई समारोह में शामिल थे. जिसमें कई अधिकारी भी मौजूद थे.इन सभी बातों की जानकारी आइएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) द्वारा उच्च न्यायालय को दी गई.उच्च न्यायालय ने आइएमए की शिकायत पर जिला न्यायालय,गया से मामले की जांच कराई. तदोपरांत अपनी रिपोर्ट उच्च न्यायालय को भेज दी. इसके बाद विशेष सत्र के दौरान उच्च न्यायालय ने श्री सज्जन पर कार्रवाई का निर्णय पारित किया.

इस बीच उच्च न्यायालय की स्टैंडिंग कमेटी ने शनिवार को एक बैठक के बाद न्यायिक पदाधिकारी के निलंबन का आदेश पारित किया. उनकी जगह राजीव कुमार को प्रभारी अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी बनाया गया है.

By Editor