यह एक और खुलासा है कि बिहार बोर्ड के निवर्तमान अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने बोर्ड के 54 करोड़ रुपये उस बैंक में जमा कराये थे जिसमें उनका बेटा राहुल राज अधिकारी है.

विनायक विजेता

लालकेश्वर ने उस बैंक में 54 करोड़ डाले जिसमें बेटा काम करता हू
लालकेश्वर ने उस बैंक में 54 करोड़ डाले जिसमें बेटा काम करता हू

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने अपनी पत्नी ऊषा सिन्हा के दबाव में ही बोर्ड की राशि में से 54 करोड़ की भारी भरकम राशि यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के उस ब्रांच में जमा करवा दिया जिस ब्रांच में उनका छोटा बेटा राहुल राज प्रमाणिकरण अधिकारी हैं।

बैंक की इस शाखा ने बीते 8 मार्च को अपने बैंक में विश्व महिला दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में पूर्व विधायक सह गंगा देवी कॉलेज की प्राचार्या उषा सिन्हा को मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित किया गया था। यहीं से बोर्ड के रुपयों में से एक भारी राशि का स्थानांतरण यूनाइटेड बैंक में करने का खेल वेल शुरु हुआ।

बेटे के प्रोमोशन के लिए किया ये काम

गौरतलब है प्रति वित्तीय वर्ष के अंत (31 मार्च) तक हर बैंक अपनी ज्यादा से ज्यादा डीपोजिट रखने का प्रयास करते हैं। बैंक के जो अधिकारी बैंक के इस प्रयास में सहायक होता है उसे सम्मान के साथ प्रमोशन भी दिया जाता है। लाकेश्वर प्रसाद ने पत्नी उषा सिन्हा के दबाव में अपने बेटे के प्रमोशन और सम्मान के लिए मार्च वित्तीय वर्ष 2015-16 की समाप्ति के पूर्व बोर्ड की 54 करोड़ की भारी भरकम राशि बेटे के कार्यरत वाले बैंक (यूनाइटेड बैंक) के फ्रेजर रोड शाखा में स्थानांतरित कर दिया।

बैंंक ने इसके एवज में बीते 20 अप्रैल को लालकेश्वर के बेटे राहुल राज को प्रमोशन तो दिया ही साथ ही एक प्रशस्ति-पत्र एवं मोमेंटो देकर सम्मानित भी किया। इसके पूर्व बोर्ड का खता एसबीआई और इलाहाबाद बैंक से संचालित होता रहा है। दोनों में से एक बैंक बोर्ड कैंपस में जबकि दूसरा बोर्ड कार्यालय से सटा है।

बोर्ड के कई कर्मचारी दबी जुबान और नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि नए इंटर कॉलेजों को मान्यता दिलाने की अधिकतर मोलजोल और डीलिंग लालकेष्वर सिंह की पत्नी और गंगा देवी कॉलेज की पूर्व प्राचार्या उषा सिन्हा ही करती थीं। लालकेश्वर का पीए विकास चंद्रा उर्फ डब्ल्यू इस मामले में बीच की कड़ी और मध्यथ की भूमिका निभाता था।

लालकेश्वर प्रसाद ने अपने कार्यकाल में लगभग सौ वैसे कॉलेजों को रुपये लेकर मान्यता दी जिन कॉलेजों में से अधिकतर कॉलेज में मात्र दो या तीन कमरे हैं।

 

By Editor