अब इस कानूनी बहस का पटाक्षेप हो गया है कि सजायाफ्ता सांसदों की सदस्यता रद्द करने संबंधी अधिसूचना कौन जारी करेगा.lalu

लोकसभा सचिवालय, चुनाव आयोग और कानून मंत्रालय की यह दुविधा खत्म हो गयी है कि अदालत द्वारा सजा सुना दिये जाने के बाद लोकसभा सदस्य की सदस्यता खत्म करने का नोटिफिकेशन कौन जारी करेगा.

लोकसभा सचिवालय ने लालू प्रसाद यादव, जगदीश शर्मा और रशीद मसूद को सजाये सुनाये जाने के बाद यह सुनिश्चित नहीं कर पा रहा था कि उनकी सदस्यता रद्द करने संबंधी अधिसूचना कौन जारी करेगा.

इसलिए इस संबंध में ऑटर्नी जनरल को लिखे पत्र में लोकसभा सचिवालय ने दो बिंदुओं पर सुझाव मांगे थे. पहला कि क्या सांसद की सदस्यता रद्द करने के लिए ऊपरी अदालत के फैसला की प्रतीक्षा की जाये और दूसरा – सदस्यता रद्द करने संबंधी अधिसूचना , लोकसभा सचिवालय, चुनाव आयोग और कानून मंत्रालय में से कौन जारी करेगा.

ऑटार्नी जनरल वीजी वाहनावती ने अपने जवाब में कहा है कि निचली अदालत से सजा सुना दिये जाने के बाद ही लालू प्रसाद और जगदीश शर्मा की सदस्यता खत्म हो गयी है. ऐसे में हाईकोर्ट में अपील करने से इस मामले पर कोई फर्क नहीं पड़ता.

इसी प्रकार ऑटार्नी जनरल, जो केंद्र सरकार के सबसे बड़े कानून अधिकारी माने जाते हैं, ने कहा कि सजायाफ्ता सांसद सदस्य को अयोग्य घोषित किये जाने का जिम्मेदार संबंधित हाउस है जिसके सदस्य सजायाफ्ता सदस्य हैं. यानी लालू प्रसाद और जगदीश शर्मा चूंकि लोकसभा सदस्य हैं इसलिए उनके संबंध में लोकसभा सचिवालय को अधिसूचना जारी करनी पड़ेगी जबकि रशीद मसूद चूंकि राज्यसभा सदस्य हैं इसलिए उनके संबंध में राज्यसभा सचिवालय को अधिसूचना जारी करनी होगी.

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