मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा राज्य को पर्याप्त राशि नहीं दिये जाने के कारण वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई संभव नहीं है। श्री कुमार ने गृह मंत्रालय की ओर से वामपंथी उग्रवाद के समाधान पर नई दिल्‍ली में आयोजित समीक्षात्मक बैठक को संबोधित करते हुये कहा कि जब भी राज्य सरकार नक्सलवादी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए पहले से चल रही केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में पूर्व की तरह वित्त पोषण या अधिक संसाधनों की मांग करती है तो केन्द्र सरकार यह कहते हुए नकार देती है।  

नक्‍सलग्रस्‍त राज्‍यों के मुख्‍यमंत्री की हुई बैठक

 

उन्होंने कहा कि इस संघर्ष में पुलिस आधुनिकीकरण योजना के तहत केंद्र सरकार की ओर से बिहार को वर्ष 2000-01 से 2014-15 तक सालाना करीब 40 करोड़ रुपये दिया जाता रहा, लेकिन अब यह राशि घटाकर 25 करोड़ रुपये कर दी गई है। इस योजना मद में बिहार के लिए केंद्र की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत और राज्य की 40 प्रतिशत है जबकि बिहार जैसे सीमित संसाधनों वाले राज्यों के लिये यह अनुपात 90:10 होना चाहिए।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में बिहार सरकार ने लगातार स्थिति स्पष्ट करते हुए आंकड़ों के साथ केन्द्र सरकार को अवगत कराया है कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के बाद कर का बंटवारा हो या अनुदान, बिहार को संसाधनों में भारी कमी हुई है। उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध कार्रवाई केन्द्र एवं राज्य सरकार की संयुक्त जिम्मेवारी है। इसलिए, इसका आर्थिक बोझ भी केन्द्र और राज्यों के बीच बांट कर वहन किया जाना चाहिए।

 

बनेगी निगरानी समिति

सरकार ने नक्सली समस्या से निपटने के लिए विकास कार्यों में तेजी लाने तथा कानून अपने हाथ में लेने वालों को कतई बर्दाश्त नहीं करने की दोहरी रणनीति अपनाने का निर्णय लिया है और केन्द्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता वाली समिति इस रणनीति की समीक्षा और निगरानी का काम करेगी।  इस समिति में राज्यों के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक शामिल रहेंगे।

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