27 नवम्बर को प्रेमचन्द रंगशाला में युवा रंगकर्मी विद्याभूषण द्विवेदी ( छात्र, द्वितीय वर्ष, NSD) एवं शशिभूषण वर्मा ( छात्र, प्रथम वर्ष, NSD) की स्मृति में प्रेमचंद रंगशाला में “रंगप्रशिक्षण और युवा” विषय पर वार्ता का आयोजन किया गया। ज्ञात हो की दोनों युवा रंगकर्मियों की मृत्यु राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में प्रशिक्षण के दौरान हो गई थी।
आज वैचारिक शून्यता और व्यक्तिवादी माहौल में ‘हिंसा के विरुद्ध संस्कृतिकर्मी” (रंगकर्मियों-कलाकरों का साझा मंच) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का महत्त्व बढ़ जाता है।
वार्ता की शुरुआत करते हुये रंगकर्मी आज़ाद ने उन दोनों के साथ अपनी रंगमंचीय स्मृतियों को साझा किया। वरिष्ठ रंगकर्मी अमियो नाथ चटर्जी ने रंगकर्म की सार्थकता विचार पर आधारित होती होनी चाहिये, इसपर बाल दिया। फ़िल्मकार अविनाश दास ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया और युवा को संस्थानों के तड़क-भड़क से दूर विचार आधारित रंगकर्म करने की सलाह दी। वैसा रंगकर्म प्रशिक्षण किसी काम का नहीं, जो हमे अंदर से खोखला बना दे।

 

प्राध्यापक अनिल कुमार राय ने संख्याबल से ज्यादा महत्वपूर्ण एकल इच्छा शक्ति को बताया, जो एक रंगकर्मी में रहना जरुरी है और जो आम जन भावनाओं एवं उनकी समस्याओं को रेखांकित करने वाली हो। ऐसी रचना ही कालजयी हो पाती है और रचनाकार भी। अभिनेता रमेश सिंह ने प्रशिक्षण को रोजगारपरक करने की बात कही। रंगकर्मी मृत्युंजय शर्मा ने वैचारिक आधार पर रंगकर्मियों को संगठित होने की बात कही, जो की ऐसी विरासत को न सिर्फ संभालेगी वरन युवा पीढ़ी को सही दिशा में प्रशिक्षण भी दे पायेगी। युवा रंगकर्मी समीर और मृगांग कुमार ने भी दोनों दिवंगत रंगकर्मी के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट की।

कार्यक्रम में वरिष्ठ रंगकर्मी अनीश अंकुर, मृत्युंजय प्रसाद, विनीत कुमार, सुरेश कुमार हज्जु, दीपक, रौशन आदि रंगकर्मी मौजूद थे।
कार्यक्रम का सञ्चालन युवा रंगकर्मी जय प्रकाश ने किया।

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