सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने अपना 40 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है. आज उनके करियर का आखिरी दिन था  यहां पढिये रंजीति सिन्हा के करियर से जुड़े विवादों का सफर

 pic curtsy tkbsen.in
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नौकरशाही डेस्क

 

जाते-जाते रंजीत सिन्हा को अपने करियर का सबसे बड़ा जख्म पिछले दिनों तब लगा जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 2जी घोटाले की जांच से अलग कर दिया. यह सबीआई के 74 वर्ष के इतिहास का सबसे बड़ा जख्म है. अब तक किसी भी निदेशक को अदालत की इतने बड़े निर्देश का सामना नहीं करना पड़ा. रंजीत सिन्हा के लिए यह अपमानजनक रहा. लेकिन उन्होंने अदालत के इस कदम पर कहा कि उन्हें कोई शर्मिंदगी नहीं है.

रंजीत सिन्हा अपने करियर के शुरू से ही विवादों में घिरे रहे हैं. उनकी ईमानदारी और निष्पक्षता हमेशा ही सवालों के घेरे में रही है. सिन्हा 1974 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस अफसर हैं. उन्होंने नवम्बर 2012 में सीबीआई निदेशक की जिम्मेदारी संभाली. दिसम्बर 2014 में वह रिटायर होने वाले हैं. लेकिन सिन्हा अपने 36 वर्ष के लम्बे करियर में हमेशा विवादों में रहे.

 

विवादों का सफर

ठीक एक साल पहले रेलवे घूस कांड काफी चर्चा में आया. सीबीआई ने रेल घूस कांड में आरपीएफ के आला अधिकारियों को रंगे हाथों पकड़ा था. इसके बाद जब विवाद की परतें खुलने लगीं तो रंजीत सिन्हा पर आरोप लगे कि वह किसी जमाने में आरपीएफ के महानिदेशक थे. ऑल इंडिया आरपीएफ एसोसिएशन के महासचिव उमाशंकर झा ने आरोप लगाया था कि घूसखोरी आरोपों में ही यहां से हटाया गया था. झा के मुताबिक, उन्होंने 28 अप्रैल 2010 को रेलमंत्री ममता बनर्जी से तत्कालीन आरपीएफ डीजी रंजीत सिन्हा व आइजी बीएस सिद्धू के भ्रष्टाचार की शिकायत की थी. ममता ने रेलवे बोर्ड में कार्यकारी निदेशक (सिक्युरिटी) नजरुल इस्लाम से जांच कराई थी. सीबीआइ सिद्धू के खिलाफ पहले से ही जांच कर रही थी. उसी जांच के आधार पर सिद्धू को उनके मूल काडर में भेज दिया गया था. आरपीएफ एसोसिएशन ने 20 जनवरी 2011 को रंजीत सिन्हा के खिलाफ मय प्रमाण 10 पेज की एक और तगड़ी शिकायत रेलमंत्री का भेजी. शिकायत सही पाई गई और अंतत: सिन्हा को भी 19 मई, 2011 को आरपीएफ से हटाकर कंपल्सरी वेटिंग में गृह मंत्रालय भेज दिया गया था.

इतना ही नहीं रंजीत सिन्हा अपने करियर के शुरुआत से ही सत्ता के नजदीक बने रहने का हुनर जानते हैं. उन्होंने बतौर आईपीए अफसर बिहार के कुछ जिलों में बतौर एसपी भी काम किया है. बुचर्चित चारा घोटाले की जांच के मामले में भी रंजीत सिन्हा की भूमिका की शिकायतें मिलती रही ती.

 

रंजीति सिन्हा की निष्पक्षता और ईमानदारी पर सवाल खड़े होते रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कई बार विवादित बयानों के कारण उन पर गंभीर रूप से उंगलियां उठती रही हैं. पिछले वर्ष उन्होंने क्रिकेट में सट्टेबाजी के बहाने एक आपत्तिजनक लैंगिक टिप्पणी कर दी. उन्होंने कहा- “सट्टेबाजी को वैध घोषित कर देना चाहिए.और यदि कानून को लागू नहीं किया जा सकता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि कानून बनाए ही नहीं जाने चाहिए. यह कहना उतना ही गलत है जितना यह कहना कि यदि बलात्कार को रोका नहीं जा सकता तो पीड़ित को इसका आनंद उठाना चाहिए”. बलात्कार पीड़िता से इस बयान को जोड़ कर सिन्हा भारी आलोचना का शिकार बने ते.

अब जबकि अदालत ने उनके व्यावहार और आचरण को कटघरे में खड़ा करते हुए 2जी घोटाले की जांच से अलग रहने का हुक्म दिया है ऐसे में यह सरकार की जिम्मेदारी है कि इस घोटाले में अभी तक की उनकी भूमिका की जांच हो. केंद्र सरकार को निश्चित तौर पर इस दिशा में कोई बड़ा फैसला करना चाहिए.

 

आईबी विवाद

पिछले जून महीने में उन्होंने इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में आईबी के एक आला अधिकारी को गिरफ्तार करने की बात कह कर हंगामा मचा दिया था. यह मामला तब शांत हुआ जब आईबी प्रमुख ने सीबीआई निदेशक से मिल कर अपना जोरदार विरोध दर्ज कराया था. दर असल इस मामले में आईबी के संयुक्त निदेशक के अधिकारी राजेंद्र कुमार से सीबीआई ने पूछताछ की थी. और इस बात के लिए आपत्ति जतायी थी कि उन्होंने इशरत जहां मामले में गुजरात को सूचना दी थी जो गलत था.

आरपीएफ विवाद

अभी हाल ही कुछ महीने पहले सीबीआई ने रेल घूस कांड में आरपीएफ के आला अधिकारियों को रंगे हाथों पकड़ा था. इसके बाद जब विवाद की परतें खुलने लगीं तो रंजीत सिन्हा पर आरोप लगे कि वह किसी जमाने में आरपीएफ के महानिदेशक थे और कुछ होने के बाद वहां से उन्हें हटना पड़ा था. ऑल इंडिया आरपीएफ एसोसिएशन ने आरोप लगाया था कि घूसखोरी उजागर करने के नाम पर सिन्हा आरपीएफ डीजी के रूप में हुए अपमान का बदला ले रहे हैं. एसोशियशन के कुछ नेताओं ने आरोप लगाया था कि उन्हें घूसखोरी के आरोपों में ही यहां से हटाया गया था. एसोसिएशन के महासचिव उमाशंकर झा ने प्रमाणों के साथ बताया कि उन्होंने तीन अगस्त 2012 को ही केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को चिट्ठी लिखकर आगाह कर दिया था कि रंजीत सिन्हा अभी सीबीआइ निदेशक बने भी नहीं हैं, मगर आरपीएफ में उनके पुराने पिछलग्गू अधिकारी रेलभवन में सबको चेतावनी दे रहे हैं कि सीबीआइ डायरेक्टर बनते ही उन सभी लोगों को सबक सिखाएंगे, जिन्होंने उन्हें निकलवाने में भूमिका निभाई थी.

 

By Editor