वैशाली लोकसभा की छह सीटों में से 5 विधान सभा सीट मुजफ्फरपुर जिले की हैं, जब‍कि एकमात्र वैशाली विधानसभा सीट वैशाली जिले की है। इस सीट से निर्वाचित सभी सांसद राजपूत या भूमिहार जाति के ही होते रहे हैं। इस सीट से राजद के तीन विधायक हैं और तीनों यादव जाति के ही हैं। कांटी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित अशोक चौधरी पासी जाति के हैं और निर्दलीय निर्वाचित हुए हैं। यह भी संयोग है कि सामान्य सीट से अनुसूचित जाति के अशोक चौधरी ने दो भूमिहार उम्मीदवारों को पराजित किया था।
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वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 24

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सांसद — राम किशोर सिंह — लोजपा — राजपूत
विधान सभा क्षेत्र — विधायक — पार्टी — जाति
मीनापुर — राजीव कुमार यादव — राजद — यादव
कांटी — अशोक कुमार चौधरी — निर्दलीय — पासी
बरुराज — नंद कुमार राय — राजद — यादव
पारू — अशोक सिंह — भाजपा — राजपूत
साहेबगंज — रामविचार राय — राजद —यादव
वैशाली — राजकिशोर सिंह — जदयू — कुर्मी
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2014 में वोट का गणित
रामकिशोर सिंह — लोजपा — राजपूत — 305450 (33 प्रतिशत)
रघुवंश प्रसाद सिंह — राजद — राजपूत — 206183 (22 प्रतिशत)
विजय कुमार सहनी— जदयू — मल्‍लाह — 145182 (16 प्रतिशत)

सामाजिक बनावट
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वैशाली लोकसभा क्षेत्र की सामाजिक बनावट राजपूत-भूमिहार प्रभाव वाली रही है, लेकिन यादवों की आबादी सबसे अधिक है। इस कारण यादव वोटर सबसे से ज्यादा हैं। इसके बाद राजपूत और फिर भूमिहार वोटरों की संख्या है। 1952 में अस्तित्व में आये वैशाली लोकसभा से अब तक राजपूत या भूमिहार जाति के सांसद ही होते रहे हैं। 1952 से 1977 तक लगातार निर्वाचित दिग्विजय नारायण सिंह भूमिहार जाति के थे और इनका संबंध लंगट सिंह परिवार से था। 1980 और 1984 में निर्वाचित किशोरी सिन्हा पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह की पत्नी थीं। 1980 और 1984 में दोनों साथ-साथ लोकसभा के लिए चुने गये थे। 1989 में जनता दल के टिकट पर निर्वाचित ऊषा सिन्हा भूमिहार जाति की थीं और उनका संबंध एक स्थानीय राजपरिवार से था।


आनंद मोहन फैक्टर
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1994 में वैशाली लोकसभा के लिए उपचुनाव हुआ था। उस समय आनंद मोहन राजपूत जाति के दबंग और चर्चित नेता माने जाते थे। उन्होंने अपनी एक पार्टी भी बनायी थी बिहार पीपुल्स पार्टी। उपचुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी जनता दल ने कांग्रेस की पूर्व सांसद किशोरी सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया था। उनके पति सत्येंद्र नारायण सिंह राजपूतों के सर्वमान्य नेता माने जाते थे। लेकिन इस चुनाव में आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद ने किशोरी सिन्हा को पराजित कर दिया। इस जीत ने राजपूत राजनीति में आनंद मोहन की दखल बढ़ा दी। हालांकि कुछ वर्षों के बाद आनंद मोहन प्रभावहीन हो गये।
कौन-कौन हैं दावेदार
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महागठबंधन की ओर से राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह निर्विवाद उम्मीदवार रहेंगे। वे लगातार पांच पर लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में लोजपा के रामकिशोर सिंह ने रघुवंश प्रसाद सिंह को पराजित कर दिया था। वैशाली में एनडीए के उम्मीदवार को लेकर पेंच फंस सकता है। लोजपा के वर्तमान सांसद राम किशोर सिंह को टिकट इस बार पार्टी नहीं देगी। लोजपा इस सीट पर दावा भी नहीं करेगी। वैशाली सीट पर भाजपा और जदयू के बीच ही टिकट तय होना है। उम्मीदवार को लेकर अभी कोई चेहरा उभर कर सामने नहीं आ रहा है। भाजपा वैशाली से पारू विधायक अशोक सिंह को अपना उम्मीदवार बना सकती है। जदयू 2014 के उम्मीदवार विजय कुमार सहनी को अपना उम्मीदवार बन सकता है। हालांकि अभी अंतिम रूप स्वरूप के लिए लंबा इंतजार करना होगा। देखना है कि अगले चुनाव में इस सीट पर राजपूत-भूमिहार का वर्चस्व कायम रहेगा या टूटता है।

By Editor