शरद यादव असाधारण नेता हैं. जयप्रकाश नारायण ने जब इंदिरा गांधी की स्थापित सत्ता को चुनौती दी थी और तय किया था कि जनता के उम्मीदवार कांग्रेस को हरायेंगें तो उनके सबसे पहले उम्मीदवार शरद यादव बने थे.

शेष नारायण सिंह की कलम से

जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज के छात्र और जबलपुर छात्र यूनियन के अध्यक्ष , शरद यादव को जेपी ने खुद उम्मीदवार बनाया था.सेठ गोविन्द दास के निधन से खाली हुयी जबलपुर सीट से वे उम्मीदवार बने थे . मध्य प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री , पी सी सेठी ने उनको हराने के लिए सारे घोड़े खोल दिए थे ,लेकिन जयप्रकाश नारायण का उम्मीदवार विजयी रहा था. हलधर किसान चुनाव निशान से चुनाव लड़कर जब शरद यादव लोकसभा पंहुचे थे तो देश में लोकशाही पर भरोसा एक बार फिर जम गया था.

 

शरद यादव के चुनाव फंड के लिए बहुत दूर दराज़ से पैसा भेजा गया था . मुझे मालूम है कि सुल्तानपुर से भी पैसा भेजा गया था . दो-दो ,चार चार रूपये का चंदा करके अधिकतम लोगों को उस यज्ञ में शामिल किया गया था . छात्र आन्दोलन के हरावल दस्ते के नेता रह चुके शरद यादव ने कांग्रेसी जेलों की खूब यात्रा की. २३ साल की उम्र में मीसा में जेल जा चुके शरद यादव ने १९७५ में जेल में रहकर नौजवानों के एक बड़े वर्ग को इमरजेंसी के खिलाफ संघर्ष करने की प्रेरणा दी थी .

शरद यादव आदतन ईमानदार हैं . सत्ता के लिए उनको अपमानित कर रहे लोगों को पता ही नहीं है कि लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका किसी भी तरह से सरकारी पक्ष से कम नहीं होती. जिस डॉ राम मनोहर लोहिया के वे अनुयायी हैं उन लोहिया ने विपक्ष के सदस्य के रूप में इसी लोकसभा में जवाहरलाल नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा गांधी को जनहित के कार्य करने को मजबूर किया था. हाँ , लालू यादव के भ्रष्टाचार को परोक्ष रूप से समर्थन देकर उन्होंने अपने कुछ प्रशंसकों को निराश किया है .

 

दिलचस्प बात यह है कि लालू यादव ने एकाधिक बार उनको आमने सामने की टक्कर में मधेपुरा लोकसभा सीट से पटकनी भी दी है लेकिन शरद यादव के मन में किसी के लिए तल्खी नहीं होती .मैं व्यक्तिगत रूप से कह सकता हूँ कि शरद यादव के भले राजनेता हैं .

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