जनता दल यूनाइटेड (जदयू) शरद गुट ने पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव के राज्यसभा की सदस्यता समाप्त किये जाने के सभापति के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसके लिए नियम का पालन नहीं किया गया और आनन-फानन में फैसला ले लिया गया । जदयू शरद गुट के राष्ट्रीय महासचिव अरूण कुमार श्रीवास्तव ने पटना में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने श्री यादव की सदस्यता समाप्त करने के लिए जदयू की ओर से दी गयी याचिका को नियम के अनुसार एथिक्स कमेटी में भेजने के बजाए स्वयं ही उस पर निर्णय ले लिया। उन्होंने कहा कि इस तरह की याचिका को नियम के अनुसार पहले एथिक्स कमेटी में भेजा जाता है, जहां संबंधित सांसद स्वयं या अपने अधिवक्ता के माध्यम से पक्ष रखते हैं ।


श्री श्रीवास्तव ने कहा कि इसके बाद एथिक्स कमेटी अपना फैसला सभापति के पास भेजती है और एक बार फिर सभापति स्वयं संबंधित सदस्य की बात सुनते हैं और अपना निर्णय देते हैं। उन्होंने कहा कि श्री यादव के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दवाब में सभापति ने आनन-फानन में उनकी सदस्यता समाप्त कर दी।

 

श्री श्रीवास्तव ने कहा कि जदयू ने गुजरात विधानसभा चुनाव में 29 सीटों पर अपना उम्मीदवार खड़ा किया था जिनमें अधिकांश की जमानत जब्त हो गयी। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की ओर से उनके गुट को सिम्बल नहीं दिये जाने पर अंतिम क्षण में भारतीय ट्राइबल पार्टी के चुनाव चिह्न पर कांग्रेस से हुए समझौते के तहत चार सीटों पर उम्मीदवार खड़े किये गये थे। इनमें से उनके गुट के पूर्व अध्यक्ष छोटू भाई बसावा और महेश भाई बसावा चुनाव जीत गये।

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