रविवार को भोपाल में आठ घंटे तक चली आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मैराथन बैठक बेनतीजा रही. बैठक में कोई स्पष्ट सहमति नहीं बन सकी. हालांकि बोर्ड ने बैठक के दौरान संकेत देते हुए कहा कि वह शरीयत में दखल बर्दाश्त नहीं करेगा. बोर्ड ने माना कि तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) गुनाह और शर्मनाक है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वे खुश नहीं हैं. यह एक तरह से उनकी धार्मिक भावनाओं पर चोट है.

नौकरशाही डेस्क

तीन तलाक पर सर्वोच्च न्यायालय के फैलसे पर आयोजित इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में बोर्ड ने 10 मेंबर एक कमेटी गठित करने का फैसला किया है. वहीं,वर्किंग कमेटी के मेंबर असमा जोहरा ने कहा कि हम तीन तलाक के हिमायती नहीं हैं. इस्लाम भी इसे पसंद नहीं करता है. यह तरीका न बढ़े, इसके लिए देशभर में बोर्ड की महिला इकाइयां काम करेंगी.

उन्होंने दावा किया कि 12 साल पहले बोर्ड की भोपाल में हुई बैठक में जो मॉडल निकाहनामा अपनाया गया था, उसके अच्छे नतीजे मिले हैं. ऐसे मामले हमारे सामने आने पर हम काउंसलिंग के जरिए उसका हल तलाशते हैं. वहीं,  तीन तलाक से जुड़े मसले और शरीयत के नियमों को लेकर बोर्ड ने पहली बार सोमवार का भोपाल के इकबाल मैदान पर महिलाओं का सम्मेलन भी बुलाया है. इसमें महिलाओं को पूरे पर्दे में आना होगा.

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