प्रख्‍यात अर्थशास्‍त्री लार्ड मेघनाद देसाई ने कहा है कि हमें संतुष्‍ट नहीं होना चाहिए। असंतु‍ष्टि मनुष्‍य की नियति है। कोशिश करनी चाहिए कि हम संसाधनों को कैसे बेहतर इस्‍तेमाल करें और उसका लाभ अधिकतम लोगों को मिले। शुक्रवार को पटना में आयोजित एक संगोष्‍ठी में उन्‍होंने कहा कि गरीबी की संख्‍या घटना या बढ़ाना आंकड़ों में आसान है,  लेकिन उनके लिए बेहतर जीवन की सुविधाएं कैसे उपलब्‍ध कराएं, यह चुनौती है। इस कार्यक्रम का आयोजन आद्री फाउंडेशन ने किया था, जिसका विषय था- क्‍या निर्धनता कभी समाप्‍त हो सकेगी।

बिहार ब्‍यूरो

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए श्री देसाई ने कहा कि संसाधनों का समान और संतुलित वितरण के बिना गरीबी समाप्‍त करना संभव नहीं है। उन्‍होंने कहा कि भ्रष्‍टाचार और गरीबी दो चीजें हैं और दोनों का आपस में कोई संबंध नहीं है। उन्‍होंने कहा कि कुल आय व प्रति व्‍यक्ति आय के आधार पर देशों के धनी होने के साथ गरीबी दर बढ़ती प्रतीत होती है। इसके साथ ही अधिक वि‍कसित देशों में भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले लोगों की संख्‍या अधिक है। लार्ड देसाई ने इस बात पर बल दिया कि किसी भी समाज में गरीबी रेखा आय के साथ ऊपर -नीचे होती रहती है। इस प्रकार गरीबी को घटाना कठिन होगा तथा गरीबी उन्‍मूलन और भी कठिनतम।

 

इस मौके पर पूर्व मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि  रोटी, कपड़ा व मकान हर व्‍यक्ति की न्‍यूनतम आवश्‍यकता है। इसके साथ शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य को भी जोड़ लेना चाहिए। अब व्‍यक्ति की न्‍यूनतम आवश्‍यकताओं में सम्‍मान का जीवन भी शामिल हो गया है। उन्‍होंने कहा कि संसाधनों का वितरण भी जटिल समस्‍या है। सुशासन के सामने एक सवाल यह भी है कि क्‍या वह संसाधनों का सही ढंग से वितरण करा पाने में सक्षम है। कार्यक्रम की शुरुआत में आद्री के सचिव शैबाल गुप्‍ता ने सेमिनार के आयोजन पर प्रकाश डाला और आगत अतिथियों का स्‍वागत किया। जबकि पीपी घोष ने धन्‍यवाद ज्ञापन किया।

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