मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा है कि आजकल असहमति के लिए जगह सिकुड़ती जा रही है क्योंकि सरकार को किसी तरह का प्रतिरोध स्वीकार्य नहीं है और इससे लोकतंत्र खतरे में पड़ जायेगा।

श्री सिन्हा ने जवाहर लाल नेहरु (जेएनयू) विश्वविद्यालय शिक्षक संघ द्वारा उच्च शिक्षा आयोग विधेयक पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने सभी विपक्षी सांसदों से इस विधेयक को पारित न होने देने के लिए आगे आने और इसे संसद की स्थाई समिति के पास भेजे जाने के लिए सरकार पर दबाव डालने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि सरकार योजना आयोग की तरह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भी ख़त्म कर देना चाहती है।

संगोष्ठी को कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य राजीव गोड़ा, भाजपा के लोकसभा सदस्य उदित राज, राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सदस्य मनोज झा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद डी राजा और मोहम्मद सलीम और पूर्व सांसद नीलोत्पल बसु ने भी संबोधित किया और सबने इस विधेयक को खतरनाक बताया।

श्री सिन्हा ने जेएनयू विश्विद्यालय प्रशासन द्वारा इस संगोष्ठी के लिए परिसर के सभागार को न दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आजकल हर जगह ‘स्पेस’ कम होते जा रहे हैं। जेएनयू अभिव्यक्ति की आजादी मुक्त चिंतन उदार विचारों के लिए जाना जाता है, पर आज विरोध के स्वर के लिए स्थान नहीं है और सरकार को प्रतिरोध स्वीकार्य नहीं है सरकार को यह विश्वविद्यालय पसंद नहीं, इसलिए वह इसे बंद करना चाहती है। वह और भी ऐसे संस्थानों को बंद करना चाहती है जो उसे पसंद नहीं।

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