पटना हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रेखा एम दोशित ने कहा साइंटिफिक एविडेंस के सहारे इंसाफ दिलाने के लिए अनुसंधान और न्यायिक प्रकिया से जुड़े जिम्मेदार लोगों को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

जस्टिस रेखा एम दोषित
जस्टिस रेखा एम दोषित

दोशित बिहार जुडिसियल अकेडमी द्वारा आयोजित सेमिनार “आपराधिक न्याय तंत्र समस्याएं एवं समाधान” विषय पर शनिवार को अपने विचार रख रही थीं.

दोशित ने निचली अदालतों द्वारा बड़ी संख्या में सुनायी जा रही फांसी की सजा पर हैरत जताते हुए कहा कि क्या सूबे का हाल इस तरह का है कि इतनी संख्या में फांसी की सजा हो?

उन्होंने कहा कि इस वर्ष अब तक सात मामलों में फांसी की सजा सुनायी जा चुकी है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह बहुत आवश्यक है कि एक ऐसा तंत्र विकसित किया जाये जो साक्ष्यों की स्क्रूटनी कर उसे कोर्ट के समक्ष पहुंचाये.

रेखा एम दोशित ने कहा क्रिमिनल जस्टिस में सुधार के लिए यह यह देखना जरूरी है कि इन समस्याओं के कारण क्या हैं? एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप नहीं होना चाहिए. जब तक सभी लोग सामूहिक रूप से इस दिशा में प्रयास नहीं करेंगे तब तक समस्याएं समाप्त नहीं होने वाली.

उन्होंने कहा कि साइंटिफिक एविडेंस संभव काफी महत्वपूर्ण है और साइंटिफिक एविडेंस के सहारे इंसाफ दिलाने में किसी तरह की खामी की गुंजाईश नहीं रहती.

सेमिनार में बिहार के डीजीपी अभ्यानंद ने कहा कि इंसाफ के प्रति लोगों में काफी जागरूकता आई है. उन्होंने कहा कि कई मामलों में लोग इंसाफ पाने के लिए काफी अधीर हो चुके हैं. हर कोई चाहता है कि उनके विवादों का स्पीडी ट्रायल हो.

अभ्यानंद ने कहा कि लोगों के धर्य के साथ साथ उनका विश्वास भी अब हिलने लगा है ऐसे में उनके विश्वास को बनाये रखना सभी स्टेक होल्डर के लिए जरूरी भी है और उनकी जिम्मेदारी भी.

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