पटना, 27 मई। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का 38वां महाधिवेशन आगामी 29-30 जुलाई को आयोजित होगा। दो दिवसीय इस अधिवेशन मे देश भर से सैकडों साहित्यकार एवं विद्वान भाग लेंगे। दो दर्जन से अधिक विद्यानों को बिहार के मुर्द्धन्य साहित्यकारों के नाम से नामित अलंकारणों से सम्मानित किया जाएगा।

नौकरशाही डेस्क

सम्मेलन की पत्रिका ‘सम्मेलन साहित्य’का नया अंक महाधिवेशन विशेषांक के रूप मे प्रकाशित होगा। अधिवेशन के दो दिनों मे उदघाटन और समापन-सत्रों के अतिरिक्त 4 वैचारिक-सत्र आयोजित होंगे, जीनामे विविध साहित्यिक विषयों पर  संगोष्ठियाँ सम्पन्न होंगी। शीघ्र हीं आयोजन-समिति तथा स्वागत समिति के अतिरिक्त विभिन्न उपसमितियों का भी गठन कर दिया जाएगा। इस हेतु सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ को अधिकृत किया गया है।

सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ की अध्यक्षता मे, सम्मेलन-सभागार मे आज सम्पन्न हुई स्थाई-समिति की बैठक मे यह निर्णय लिया गया। एक प्रस्ताव पारित कर सम्मेलन के संरक्षक-सदस्य और सांसद रवीन्द्र किशोर सिन्हा की अध्यक्षता मे अधिवेशन की स्वागत-समिति के गठन का निर्णय लिया गया। अन्य सभी समितियों के गठन हेतु सम्मेलन अध्यक्ष को अधिकृत किया गया।

इसके पूर्व एक बार फिर सर्व-सम्मति से डा सुलभ के प्रति सम्पूर्ण विश्वास व्यक्त किया गया। बैठक मे, कतिपय असाहित्यिक-तत्वों द्वारा साहित्य-सम्मेलन और सम्मेलन अध्यक्ष के विरुद्ध किए जा रहे दुष्प्रचार की घोर भर्त्सना की गई। सदस्यों ने इस बात को लेकर गहरा क्षोभ व्यक्त किया कि कतिपय भ्रामक चरित्र के लोग स्वयं को सम्मेलन का संरक्षक सदस्य बताकर मीडिया मे जाकर अनर्गल प्रलाप कर रहें हैं। ऐसे एक व्यक्ति की पहचान भी की गई है जो साहित्य सम्मेलन के फर्जी पत्र-शीर्ष (लेटर-पैड) का इस कार्य के लिए दुरुपयोग कर रहे थे, जिनके विरुद्ध कदमकुआँ थाना मे प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है। इस आशय का एक निंदा प्रस्ताव पारित कर ऐसे तत्त्वों से कड़ाई से निपटने के लिए अध्यक्ष से आग्रह किया गया। इसी क्रम मे, विभिन्न साहित्यकारों के फर्जी हस्ताक्षर से सम्मेलन-अध्यक्ष के विरुद्ध पटना के आयुक्त को पत्र लिखने तथा कदम कुआँ थाना मे झूठा मुकदमा दर्ज करने वाली सुश्री सविता सिंह नेपाली को सम्मेलन की सदस्यता से मुक्त करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया। इस संबंध मे, सम्मेलन की कार्य-समिति ने अपनी विगत बैठक मेप्रस्ताव पारित कर, स्थाई समिति से सुश्री नेपाली को सदस्यता से मुक्त करने की अनुशंशा की थी। बैठक मे सर्व-सम्मति से प्रस्ताव पारित कर सुश्री नेपाली को बिहार सरकार की‘हिन्दीप्रगति समिति’के उपाध्यक्ष पद से भी हटाए जाने की मांग मुख्यमंत्री से की गई। सदस्यों की राय थी कि साहित्यकारों का फर्जी हस्ताक्षर करने का घृणित अपराध करने वाले किसी व्यक्ति को ऐसे पद पर बने रहना साहित्य समाज के लिए अत्यंत शर्मनाक है।

बैठक मे सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेन्द्र नाथ गुप्त, प्रधानमंत्री आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव, पं शिवदत्त मिश्र, डा शंकर प्रसाद , साहित्य मंत्री डा शिववंश पाण्डेय, बलभद्र कल्याण, प्रो मधु वर्मा, डा कृष्णानंद, पूर्वी चंपारण जिला साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा वागेश्वरी नन्दन कुमार, मुजफ्फरपुर जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री शारदा चरण, डा लक्ष्मी सिंह,सुमेधा पाठक, वैशाली जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष शशिभूषण सिंह , कवि राज कुमार प्रेमी, डा मेहता नगेन्द्र सिंह, प्रो वासुकी नाथ झा, डा उपेंद्र राय, कवि दिनेश दिवाकर,अप्सरा रणधीर मिश्र, पण्डित जी पाण्डेय, रवि घोष, पं जनार्दन प्रसाद द्विवेदी, योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, डा विनोद शर्मा, आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, ऋषिकेश पाठक, श्रीकांत सत्यदर्शी ,चंद्रदीप प्रसाद, रामुचित पासवान ‘पासवाँ’, प्रवीर पंकज, राम नाथ चौधरी ,बच्चा ठाकुर, मो सुल्तान अहमद समेत बड़ी संख्या मे स्थाई-समिति के सदस्य गण उपस्थित थे.

( आचार्य श्रीरंजन सूरीदेव )

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