बिहार के पुलिस नेतृत्व को सलाम जिसने जहानाबाद को लाशों का ढ़ेर बनने से बचा लिया. अगर समय पर यह पहल न की गयी होती तो सुलगता हुआ यह शहर धधक उठता और हिंदू-मुसलमान आपस में कट मरते.

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जान पर खेल कर बचाई लोगों की जिंदगी (फोटो सौजन्य फिरोज अख्तर)
जान पर खेल कर बचाई लोगों की जिंदगी (फोटो सौजन्य फिरोज अख्तर)

एक मस्जिद की जमीन विवाद की वजह बनी. मुसलमानों का दावा है कि वह जमीन मस्जिद की है. जबकि विश्व  हिंदू परिषद के कुछ नेताओं ने इस पर अपनी दावेदारी ठोकी. कई बार पंचित हुई. प्रशासन ने इसमें हस्क्षेप किया इसके बावजूद समाज के बिगड़ैल तत्व को उकसा कर सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने की कोशिश की गयी.

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शहर के गांधी स्मारक उच्च विद्यालय स्थित रसोइया घाट के बगल वाली जमीन को लेकर दो समुदायों के बीच पले से विवाद चल रहा था। उक्त जमीन पर दोनों समुदाय के लोग अपना दावा ठोक रहे थे। हिंसक झ़ड़प के बाद, कुछ लोगों के अनुसार, प्रशासन द्वारा दोनों समुदायों के बीच  जमीन देने की बात की गयी थी, लेकिन इस बात पर दोनों में से कोई भी मानने को तैयार नहीं था। इसी को लेकर तनाव बढ़ा। इस दरम्यान पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा.  लोगों को भड़काने में विश्व हिन्दू परिषद एवं बजरग दल के नेता मंटु कुमार एवं सत्कार की संदिग्ध भूमिका के कारण पुलिस ने इन दोनों को गिफ्तार कर लिया.

पुलिस की तत्परता, संवेदनशीलता, आपसी समन्वय और जिम्मेदारी ने साबित कर दिया है कि षड्यंत्र भले कितना बड़ा क्यों न हो, दंगा को काबू पाना कोई बड़ी बात नहीं. पुलिस प्रशंसा की पात्र है

इसके बाद लोग हिंसक हो गये. लाठीबाजी और पत्थरबाजी के साथ शहर युद्ध का मैदान बन गया. लेकिन पुलिस की तत्परता और चाबुक दस्ती का आलम यह था कि पटना और गया से पुलिसबल जहानाबाद के लिए भेजा गया. गया के एसएसपी मनु महाराज दल बल के साथ पहुंचे. उपद्रवियों ने पुलिस पर भी हमला बोल दिया. कोई पुलिस अफसरों समेत पुलिस जवानों को भी गंभीर चोटें आयीं. पुलीस द्वारा लगभग 50 चक्र गोली चलाई गयी, जिसमें स्थानीय रामधनी महतो सहीत तीन लोग बूरी तर घायल हो गये, घायलों को इलाज के लिए सदर अस्पताल जहानाबाद लाया गया.

आईजी कुंदन कृष्ण ने स्वयं कमान सभाली तथा उन्होंने  असल षडयंत्रकारियों के मंसूबे को समझ लिया. इसके बाद मगध रेंज के डीआईजी रत्न संजय ने जिस संवेदनशीलता, निष्पक्षता और जिम्मेदारी से काम लिया है उसके कारण जहानाबाद बिहार का दूसरा अजीजपुर बनने से बच गया.

गौर तलब है कि चार-पांच महीना पहले मुजफ्फरपुर के अजीजपुर गांव में दंगाइयों ने न सिर्फ लूट-पाट की बल्कि चार लोगों को आग में फेक कर मार डाला था.

लेकिन पुलिस ने जिस सक्रियता से जहानाबाद में काम लिया ऐसी सतर्कता अगर बराबर बरती जाये तो देश के किसी भी हिस्से में साम्प्रदायिक दंगे को भड़कने से बचाया जा सकता है और लोगों के जान माल की हिफाजत सुनिश्चित की जा सकती है.

इस मामले में सरकार और राजनीतिक नेतृत्व की भूमिका की भी तारीफ करनी होगी जिसके चलते पुलिस बल सक्रिय हुई और जहानाबाद को जलने से बचा लिया.

गौर करने की बात है कि पिछले डेढ़ महीने में – राजगीर, पूर्वी चम्पारण के ढ़ाका, मोतिहारी और अब जहानाबाद में समाज के गद्दारों ने साम्प्रदायिक रंजिशों को बढ़ाने की कोशिश की है. लेकिन तमाम जगह उन्हें मुंहकी खानी प़ड़ी है. चुनावी समय को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि ऐसी साजिशें और भी होंगी, इसलिए समाज को चौकन्ना रहने की जरूरत है.

 

By Editor

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