उच्चतम न्यायालय ने पैन कार्ड बनवाने और आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरने में आधार संख्या को अनिवार्य किये जाने से संबंधित आयकर कानून की नयी धारा 139(एए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति अर्जन कुमार सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने सभी संबंधित पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।

 

याचिकाकर्ताओं-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता विनय विश्वम, दलित अधिकार कार्यकर्ता बेजवाडा विल्सन और सेवानिवृत्त अधिकारी एस जी वोम्बटकेरे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने, जबकि केंद्र की ओर से एटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी तथा वरिष्ठ अधिवक्ता अर्घ्य सेनगुप्ता ने पैरवी की। श्री रोहतगी ने अपनी दलील में कहा है कि पैन फर्जी भी हो सकता है, मगर आधार पूरी तरह सुरक्षित है। अभी तक करीब दस लाख पैन रद्द किये जा चुके हैं, जबकि अब तक जारी किये गये एक अरब 13 करोड़ 70 लाख आधार कार्ड की नकल का एक भी मामला सरकार के पास नहीं आया है।

 

उन्होंने दलील दी कि आधार कार्ड आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने की समस्या और काले धन के प्रचलन पर अंकुश लगाने का प्रभावी तरीका है। केंद्र सरकार ने पीठ से कहा कि आधार डाटा पूरी तरह सुरक्षित है, क्योंकि इसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आयकर अधिनियम के तहत जोखिम पूर्ण बुनियादी संरचनाओं की श्रेणी में रखा है। न्यायालय में आज बहस पूरी हो गयी और उसके बाद उसने फैसला सुरक्षित रख लिया।

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