सृजन घोटाले की जांच करने में सीबीआई जुट चुकी है. उसकी जांच की दिशा जो भी हो लेकिन सच यह है कि भागलपुर के तत्कालीन डीएम के आदेश की एक कापी उसके लिए काफी महत्वपूर्ण सबित हो सकती है. नौकरशाही डॉट कॉम के पास यह कॉपी उपलब्ध है.

भागलपुर के तत्कालीन डीएम ने सबौर के उस वक्त के अंचलाधिकारी को लिखे पत्र में निर्देश दिया था कि वह सृजन महिला सहयोग समि को ट्राइसम भवन ( 24275 कड़ी) , जो सबौर में स्थित है को 30 वर्ष की लीज पर दे दिया जाये. और इसके एवज उससे सालाना 2400 रुपये लगान लिये जायें. मतलब 200 रुपये प्रति माह.

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डीएम ने यह निर्देश 25 मार्च 2004 को दिया था. इस अवधि में केपी रमैया वहां के जिलाधिकारी थे. याद दिला दें कि वह केपी रमैया ही थे जिन्होंने  अधिकारियों को लिखित निर्देश दिया था कि वे विभिन्न विभागों के बैंक में रखे, सृजन सहयोग समिति में जमा कर उसे प्रोत्साहित करें. इस सबंध में नौकरशाही डॉट कॉम पहले ही खुलासा कर चुका है और यह पत्र प्रकाशित कर चुका है.

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ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सृजन पर इतनी मेहरबानी की क्या वजह थी. एक डीएम जैसे अधिकारी ने सृजन के प्रोत्साहन के लिए क्यों इतने बेचैन थे.

 

 

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