केंद्र सरकार की महत्‍वाकांक्षी योजना ‘मिशन इंद्रधनुष’ की आशा, उम्‍मीद और संभावनाएं आज पटना के होटल चाणक्‍य में दिखीं। बच्‍चों को होने वाली सात गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए टीकारण को प्रभावी बनाने के लिए प्रारंभ की गयी योजना ‘मिशन इंद्रधनुष’ की महत्‍ता, उपयोगिता और असर के संबंध में विस्‍तृत रूप से विमर्श किया गया। इसके साथ ही यह भी सुझाव दिया गया कि टीकाकरण के लेकर प्रकाशति या प्रसारित की जाने वाली नकारात्‍मक खबरों का प्रतिकूल असर पड़ता है और इसके प्रभाव के प्रति भी संवेदनशील होने की जरूरत है।workshop 2

बिहार ब्‍यूरो

 

‘मिशन इंद्रधनुष’ को लेकर मीडिया की भूमिका पर आधारित राज्‍यस्‍तरीय मीडिया कार्यशाला में पीआईबी के निदेशक दिनेश कुमार, वरिष्‍ठ पत्रकार राहुल देव व अलका आर्य के साथ यूनिसेफ की एन. गुप्‍ता समेत बिहार सरकार, विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन और यूनिसेफ के अधिकारियों ने चर्चा की और इसकी महत्‍ता पर प्रकाश डाला। इस दौरान अधिकारियों ने बताया कि बिहार के 14 जिलों का चयन ‘मिशन इंद्रधनुष’ के लिए किया है। चयनित जिलों में अररिया, बेगूसराय, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, गया, जमुई, कटिहार, किशनगंज, मुजफ्फरपुर, पटना, सहरसा, समस्‍तीपुर और सीतामढ़ी जिले शामिल हैं।

 

सजगता जरूरी

पत्रकारों के साथ इंटरएक्‍शन में राहुल देव ने कहा है कि पत्रकारों को खबरों की संवदेनशीलता और प्रभाव के प्रति सजग रहना चाहिए। अलका आर्य ने कहा कि टीकाकरण से जुड़ी खबरों को सनसनी की तरह पेश नहीं करना चाहिए। मीडिया कार्यशाला में इस बात पर आम सहमति बनी कि योजनाओं के प्रचार-प्रसार और कार्यान्‍वयन में मीडिया की महत्‍वपूर्ण भूमिका है। इसके साथ ही संबंधित अधिकारियों को भी टीकाकरण से जुड़ी खबरों को लेकर तथ्‍यगत जानकारी मीडिया को समय-समय पर देनी चाहिए। मीडिया, सरकार और संगठनों के बीच बेहतर समन्‍वय और आपसी विश्‍वास से ही ‘मिशन इंद्रधनुष’ के सेहत से जुड़े सतरंगे सपनों को साकार किया जा सकता है।

By Editor