विपक्ष ने सत्तापक्ष के नेताओं पर सैनिकों के बलिदान का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए उठाये जाने वाले सभी कदमों पर सरकार को विपक्षी दलों को भरोसे में लेना चाहिए। 

लगभग तीन घंटे तक चली 21 विपक्षी दलों की बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक लिखित वक्तव्य पढ़ते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को राजनीतिक मतभेदों को ऊपर रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि बैठक में शामिल सभी राजनीतिक दलों ने इस पर गहरा रोष व्यक्त किया कि जवानों के बलिदान का सत्तापक्ष के नेता राजनीतिकरण कर रहे हैं। विपक्षी नेताओं ने इस पर भी अफसोस जाहिर किया कि देश की लोकतांत्रिक परंपरा के अनुरूप राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक नहीं बुलायी।

विपक्षी नेताओं ने सरकार से राष्ट्र की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा के लिए उठाये जाने वाले सभी कदमों के संबंध में देश को भरोसे में लेने का अनुरोध किया। वक्तव्य के अनुसार बैठक में शामिल सभी राजनीतिक दलों ने 14 फरवरी को पुलवामा आतंकवादी हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद की निंदा की। आतंकवाद से निपटने के लिए सुरक्षा बलों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित की गयी। बैठक में 26 फरवरी को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के शिविरों पर वायुसेना की कार्रवाई और सैनिकों के साहस और ज़ज्बे की सराहना की गयी।

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