फसल क्षतिपूर्ति मामले में धीमा भ्रष्टाचार की भनक राज्य सरकार को लग गयी है. नतीजे में छह जिलों के जिला कृषि पदादिकारियों को हटाना पड़ा है.crop

धीमा भ्रष्टाचार दर असल देखने में भ्रष्टाचार नहीं लगता इसलिए इस तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों को सरकार आसानी से टारगेट नहीं कर सकती. दर असल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 30 अप्रैल को अधिकारियों से कहा था कि फसल क्षतिपूर्ति की अनुदान राशि हर हाल में 10 दिनों में बांट दें.जानकार बताते हैं कि देर करने और क्षतिपूर्ति की रकम रोके रखने से किसानों में बेचैनी बढ़ी है. इस कारण देर करके अफसर कमिशनखोरी  के  रास्ते खोलते है. लेकिन जैसे ही इसकी जानकारी राज्य सरकार को लगी, उसने कार्रवाई करते हुए छह जिला कृषि अफसरों को बदल दिया.

मार्च-अप्रैल में बारिश के कारण बड़े पैमाने पर फसलें तबाह हुईं. तमाम कोषागारों में 600 करोड़ रुपये आवंटित भी किये गये. इनमें अब तक 200 करोड़ रुपये   बंटे. मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद कई जिलों के अफसरों ने जान बूझ कर देर की.

कृषि मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मंगलवार को फसल क्षतिपूर्ति को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक में कहा- शिथिलता बरतने वाले अधिकारियों कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कृषि मंत्री ने अधिकारियों को अनुदान वितरण में तेजी लाने की हिदायत दी है। समीक्षा में 6 जिलों कटिहार, पूर्वी चंपारण, सारण, सीवान, गोपालगंज और पटना के जिला कृषि कृषि पदाधिकारियों को कार्य के प्रति उदासीन और लापरवाह मानते हुए हटाकर इन जिलों में संयुक्त कृषि निदेशक स्तर के अधिकारियों को प्रतिनियुक्त किया गया।

बैठक के दौरान कृषि निदेशक धर्मेंद्र सिंह ने मंत्री को बताया कि दो और प्रखंड कृषि पदाधिकारियों को निलंबित किया गया है। इनमें बेगूसराय खादावंदपुर के दिलीप कुमार और दरभंगा अलीनगर के मो. नौशाद अहमद शामिल हैं।

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