मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का एक और कारनामा यह है कि जिस गुजरात का कर्ज अदा करने का दावा करके उन्होंने भारतमाता का कर्ज उतारने का मंसूबा बनाया था, वह गुजरात पूरी तरह से कर्ज में डूबा हुआ है.

शेष नारायण सिंह

ताज़ा आंकड़ों से पता चला है कि उस कर्ज पर गुजरात सरकार प्रतिदिन साढ़े चौंतीस करोड रूपये का ब्याज अदा करती है .जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री बने थे तो २००१-०२ में गुजरात सरकार के ऊपर ४५,३०० करोड रूपये का कर्ज था अब वह कर्ज बढ़कर एक लाख अडतीस हज़ार करोड रूपये का हो गया है .

जब मोदी जी न दावा किया था कि वे गुजरात का क़र्ज़ उतार चुके हैं तो कुछ शंकालु किस्म के लोगों ने शंका जताई थी कि यह उसी तरह का दावा है जैसा नरेंद्र मोदी ने उत्तरखंड की आपदा से १५ हज़ार गुजरातियों को बचाकर लाने का किया था. लेकिन आमतौर पर नरेंद्र मोदी की कर्ज वाली बात का विश्वास किया गया था. लेकिन आज एक ऐसे अखबार में जब खबर देखी जिसमें मोदी के बहुत सारे समार्थक पाए जाते हैं तो सहसा खबर पर विश्वास नहीं हुआ लेकिन जब मोदी के समर्थकों ने खबर के लेखक को गाली देने का अभियान चलाया और खबर का खंडन नहीं किया ,बस लेखक को कांग्रेसी एजेंट कहकर काम चलाते रहे तब भरोसा हो गया कि खबर बिलकुल सही है .

प्रकाशित आंकड़ों के हिसाब से गुजरात की आबादी अगर छः करोड की मान ली जाय तो मोदी जी की शासन व्यवस्था का कमाल यह है कि हर एक गुजराती के ऊपर आज करीब २३ हज़ार रूपये का कर्ज है . एक अनुमान के मुताबिक १९९५ में बीजेपी की सरकार बनने के बाद जिस गुजरात के ऊपर दस हज़ार करोड रूपये का कर्ज था अगर नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री बने रह गए तो २०१५-१६ तक गुजरात पर दो लाख रूपये से ज्यादा का कर्ज हो जाएगा .यह सारा कर्ज ऐसे काम के लिए लिया गया है जो दिखावे के प्रोजेक्ट्स खर्च हुआ है . स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे की सुविधाओं के लिए पिछले १० साल में बहुत मामूली खर्च हुआ है . सी ए जी की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक पिछ्ले पांच वर्षों में गुजरात सरकार ने करीब ३९ हज़ार करोड रूपया ऐसी योजनाओं में लगा दिया है जिससे राज्य सरकार या छः करोड गुजरातियों के हाथ जीरो प्रतिशत से थोडा ऊपर की रकम ही आयेगी .सी ए जी रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी है कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो गुजरात के सामने बहुत ही मुश्किल आर्थिक स्थिति पैदा हो जायेगी

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