हीरा डोम ने ‘अछूत की शिकायत’ कविता में ईश्वर, वर्णाश्रम व्यवस्था एवं अंग्रेज सरकार की जैसी भर्त्‍सना की है, वैसी भर्त्‍सना आज का कोई भी लेखक करने की हिम्मत नहीं कर सकता। विभिन्न जातियों की जैसी धज्जी उड़ाकर हीरा डोम ने रख दी, वैसी आज कोई नेता भी नहीं कर सकता, हीरा डोम की तुलना भारत के दार्शनिक विरासत की नास्तिकतावादी परम्परा से किया जा सकता है।  ये बातें प्रख्यात कवि अरुण कमल ने जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान द्वारा हीरा डोम रचित कविता ‘अछूत की शिकायत’ के 100 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में कहा। अरुण कमल ने कविता की भोजपुरी भाषा की चर्चा करते हुए कहा ‘‘हीरा डोम की भोजपुरी में कई किस्म की भोजपुरी है। इस समारोह में बड़ी संख्या में साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग शामिल हुए। शुरुआत में युवा कवि मुसाफिर बैठा ने अपने संबोधन में कहा कि हिन्दी में जितने महत्वपूर्ण युवा साहित्यिक पुरस्कार हैं, वो आदिवासी को भले मिला हो, किसी दलित को आजतक नहीं मिला है।20141031_152136

 

सुप्रसिद्ध कवि आलोक धन्वा ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज प्रतिगामी व प्रतिक्रियावादी शक्तियाँ हावी होने की कोशिश कर रही है। स्वाधीनता संग्राम में जितने तरह की धाराएँ थी, आज सबको एकताबद्ध करने की आवश्यकता है। प्रसिद्ध कथाकार प्रेमकुमार मणि के अनुसार, हीरा डोम की कविता तब लिखी गयी थी, जब अंबेडकर का प्रादुर्भाव नहीं हो पाया था। यह कविता हिन्दी क्षेत्र में नवजागरण का संकेतक है। हमें यह देखना होगा कि कितने अंतर्विरोध के बीच से आए हैं,  हमारे समाज में सिर्फ आर्थिक प्रश्न नहीं है,  कई किस्म के दर्द होते हैं। भाईचारा स्थापित होने में कमी होने से बराबरी की लड़ाई पीछे छूट जाती है।’’

 

टाटा इंस्टीट्च्यूट के सोशल साइंसेज के पुष्पेंद्र जी ने अनुभव को सामाजिक अध्ययन की श्रेणी बताते हुए कहा कि इस कविता का खास महत्व है कि यह पीड़ा का प्रतिनिधित्व करती है। अध्यक्षता करते हुए हिन्दी के सुप्रसिद्ध समालोचक खगेन्द्र ठाकुर ने कहा कि हीरा डोम कौन थे ये आज तक ऐतिहासिक व प्रमाणिक नहीं है। समारोह की शुरुआत में संस्थान के निदेशक श्रीकांत ने इस आयोजन के महत्व के विषय के बारे में बतलाया। शुरुआत में संस्थान के श्रमिक कर्मचारियों द्वारा आगत अतिथियों को शाॅल देकर स्वागत किया गया। समारोह का संचालन रंगकर्मी जयप्रकाश ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन अजय कुमार त्रिवेदी द्वारा किया गया।

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