‘कलक्टर सिंह ‘केशरी’ एक ऊच्च श्रेणी के साहित्यकार ही नही नव-साहित्यिकों के महान उत्प्रेरक भी थे। जब वे समस्तीपुर मे समस्तीपुर महाविद्यालय के प्राचार्य के रूप मे कार्यरत रहे, निरंतर स्थानीय साहित्यकारों के प्रेरक बने रहे। शिक्षा और साहित्य उनके जीवन के साध्य और साधन भी थे ।’ ये बातें आज साहित्य सम्मेलन पटना में, कलक्टर सिंह ‘केशरी’ की जयंती पर आयोजित कवि-गोष्ठी का उदघाटन करते हुए, सुप्रसिद्ध साहित्यकार जियालाल आर्य ने कही। 

नौकरशाही डेस्क

वहीं, समारोह की अध्यक्षता कर रहे सम्मेलन-अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा की, कविवर कलक्टर सिंह ‘केशरी’ बिहार के अग्र-पांक्तेय साहित्यकारों मे से एक थे । वे  हिन्दी, अँग्रेजी और भोजपुरी के स्तुत्य कवि-साहित्यकार तो थे ही इन भाषाओं के महान शिक्षक और शिक्षाविद भी थे। उन्होने ही समस्तीपुर महाविद्यालय की स्थापना की और उसके 20 वर्षों तक प्राचार्य भी रहे। उन्हें विश्वविद्यालय सेवा आयोग का सदस्य और फिर अध्यक्ष भी बनाया गया था। शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र मे उनके द्वारा किए गए अवदानों को भुलाया नही जा सकता। वे साहित्य सम्मेलन के भी अध्यक्ष रहे। साहित्य-जगत और साहित्य सम्मेलन उनका सदैव ऋणी रहेगा।

आयोजन का दूसरा खण्ड कवि-गोष्ठी का था, जिसकी अध्यक्षता सुप्रसिद्ध गजल-गो मृत्युंजय मिश्र ‘करुणेश’ ने की। कवि-गोष्ठी का आरंभ कवयित्री डा सरोज तिवारी ने अपनी वाणी-वंदना से किया। अपनी गजल पढ़ते हुए वरिष्ठ कवि मृत्युंजय मिश्र करुणेश ने यों कहा कि, “और रह-रह के वो उभर जाये/ क्या ज़रूरी की जख्म भर जाये/ दिल भी तैयार उफ न करने को/ दर्द भी काम अपना कर जाये/ मन मे ‘करुणेश’ वो परिंदा है/ कौन जाने कहाँ किधर जाये”। शायर आरपी घायल ने अपना ख्याले-इजहार इस तरह किया की, “ दुख सताता है मुझे कितना सताएगा भला? एक दिन आखिर थकेगा तो दुआ देगा मुझे”। सुप्रसिद्ध कवयित्री डा सुभद्रा वीरेंद्र ने अपने कोकिल-कंठ से अपना बहू-चर्चित गीत ‘शाम ढाल रही है, तुम आओ आ भी जाओ/ भाव-भंवर की कश्ती तुम आओ आ भी जाओ”, पढ़कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। कवि रमेश कंवल ने कहा की, “अपने अंदाज से गंवाता हूँ/ लम्हे-लम्हे को आजमाता हूँ/ लालबत्ती का थम गया कल्चर/ शुभ समाचार मै सुनाता हूँ।

इस अवसर पर सुप्रसिद्ध समालोचक डा कुमार वीरेंद्र, सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेन्द्रनाथ गुप्त, डा शंकर प्रसाद, डा मधुवाला वर्मा तथा वासुकीनाथ झा ने भी अपने श्रद्धांजलि उद्गार व्यक्त किए।

वहीं पं शिवदत्त मिश्र, डा मधुवाला वर्मा, डा पुष्पा जमुआर, डा कल्याणी कुसुम सिंह, बच्चा ठाकुर, आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, कवि राज कुमार प्रेमी, अमिय नाथ चटर्जी, ओम प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, योगेंद्र प्रसाद मिश्र, अनुपमा नाथ, शालिनी पाण्डेय, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, इन्द्र मोहन मिश्र ‘महफिल’, सच्चिदानंद सिन्हा, सीता राम राही, डा रमाकांत पाण्डेय तथा वीरेंद्र भारद्वाज ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर चन्द्र्दीप प्रसाद, अनिल कुमार सिन्हा, सुरेश झा तथा विश्वमोहन चौधरी संत समेत बड़ी संख्या मे सुधीजन उपस्थित थे।

 

(आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव )

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