10 हज़ार करोड़ का धान खरीद घोटाला,भाजपा भी गुनाहगार

संजय कुमार


दस हजार करोड़ के धान खरीद घोटाले में भाजपा कम गुनाहगार नहीं है। गठबंधन टूटने के बाद भाजपा इस घोटाले को लेकर आज जो हाय तौबा मचा रही है और कृषि मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रही है लेकिन यही भाजपा उस वक्त कहां थी जब उसके गठबंधन की सरकार में ही धान खरीद घोटाले हो रहे थे।

एनडीए सरकार ने उस वक्त घोटाले के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की थी। बकाए राशि की वसूली मिल मालिकों से क्यों नहीं की गई थी।

इस घोटाले में 1775 मिलर व 420 अफसर के खिलाफ स्थानीय थाने में वर्ष 2012 2013 एवं 2014 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। भाजपा गठबंधन सरकार में इन आरोपी अफसरों और चावल मिल मालिकों के खिलाफ कौन सी कार्रवाई की गई थी। सरकार में रहते हुए भाजपा इस घोटाले पर चुप क्यों थी। भाजपा गठबंधन सरकार ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की और आरोपियों से कुल बकाए राशि की वसूली क्यों नहीं की।

वर्ष 2012 में जब पटना हाई कोर्ट में चावल मिल घोटाले पर बहस हो रही थी उस वक्त बिहार सरकार की ओर से बहस करने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व अरुण
जेटली के मित्र व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मनिंदर सिंह और उनके पुत्र रोहन जेटली आए थे। एनडीए सरकार ने पटना हाई कोर्ट में मजबूती के साथ अपना पक्ष क्यों नहीं रखा? उस वक्त भाजपा गठबंधन सरकार ने इस घोटाले में सीबीआई जांच की सिफारिश क्यों नहीं की। नीतीश सरकार में रहते भाजपा अगर धान खरीद घोटाले को लेकर आज की तरह ही हाय तौबा मचाती तो सभी आरोपी अभी सलाखों के पीछे रहते और चावल मिल मालिकों से सारे बकाए राशि की वसूली हो जाती।

निश्चित तौर पर करीब दस हजार करोड़ रु का धान खरीद घोटाला पूरे राज्य के लिए शर्मनाक है और इसमें सख्त से सख्त कार्रवाई होनी भी चाहिए।

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