भ्रष्ट आचरण और कर्तव्य के प्रति लापरवाही के चलते आईपीएस अधिकारी अनुसूइया रणसिंह निलंबित हो ही गईं. नौकरशाही डॉट इन ने 18 सितम्बर को ही इसकी संभवाना जताई थी.

निलंबन के दौरान उनका मुख्यालय पटना प्रक्षेत्र का आइजी कार्यालय रहेगा.

साहू ओडिशा की रहने वाली हैं और 2006 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं.

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सोमवार को देर शाम निलंबन की अधिसूचना जारी की गई। गृह विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि साहू का निलंबन अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन एवं अपील 1969) के नियम 3 (1) के अधीन किया गया है. उन्हें यह हिदायत भी दी गई है कि बगैर आला अधिकारियों के अनुमति के वह मुख्यालय नहीं छोड़ेंगी.

अनुसूईया के खिलाफ पुलिस मुख्यालय ने शेखपुरा से मिली शिकायतों के बाद जांच कराई थी.

अनुसूईया पर आरोप है कि शेखपुरा में एसपी रहने के दौरान उन्होंने वहां शराब, गेसिंग व अन्य माफिया तत्वों को संरक्षण दिया. इस आरोप की जांच के क्रम में पुलिस मुख्यालय ने गृह विभाग की अनुमति से अनुसूईया रणसिंह साहू के फोन को सर्विलांस पर डाल रखा था. इतना ही नहीं इस दौरान साहू के सुरक्षागार्ड के मोबाइल को भी सर्विलांस पर लिया गया था.

राज्य सरकार ने जब खदान और पत्थर माफियाओं के खिलाफ मुहिम छेड़ा तो पुलिस मुख्यालय को शेखपुरा के एक खदान व पत्थर माफिया संजय साह के बारे में पता चला.
सरकार के आदेश पर पुलिस ने संजय साह के मोबाइल को सर्विलांस पर डाल दिया जिसपर होने वाली बातचीत की पल-पल की खबर डीजीपी को दी जाती थी. विश्वस्त सूत्रों के अनुसार एक बार पुलिस के आलाधिकारी उस वक्त चौक गए जब उन्होंने संजय शाह का सीधे एसपी से बातचीत करते सुना.

संजय अवैध खनन से माल लदे अपने एक ट्रक को पुलिस द्वारा पकड़े जाने की बात कह एसपी से ट्रक को छोड़ देने की बात कह रहे थे. संजय साह द्वारा तत्कालीन एसपी को फोन किए जाने के कुछ देर बाद ही उस ट्रक को छोड़ दिया गया.

इन आरोपों के बात अनसुइया से स्पष्टीकरण भी तलब किया गया था. इसके बाद गृह विभाग ने इस मामले की जांच की बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके निलंबन की सहमति देदी.

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