रोजी रोटी की तलाश में भटकता हुआ वह 12 साल की आयु में समस्तीपुर पहुंचा. यहां अखबार बेच कर दिन गुजारने लगा. इस सबके बीच भी उसमें पढ़ाई की भूख कम नहीं हुई. समस्तीपुर में अखबार बेचते हुए उसने संजय गांधी उच्च विद्यालय, लक्षमिनिया शिवाजीनगर से मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली.

पटना.

12 साल की उम्र में रोजगार के लिए समस्तीपुर आया था इंटर आर्टस टॉपर

12 साल की उम्र में रोजगार के लिए समस्तीपुर आया था इंटर आर्टस टॉपर. मूलरूप से झारखंड के गिरिडीह जिले सरिया का रहनेवाला गणेश का कहना है कि पिता शंकरनाथ राम की मौत के बाद घर जिम्मेदारी उसके कंधे पर आ गयी. इसके कारण उसे बीच में ही अपनी पढ़ाई रोकनी पड़ी थी. दो बहनों की शादी की. परंतु एक बहन की ससुराल में तालमेल नहीं बैठा, जिसके कारण मां के साथ उसकी जवाबदेही भी उसने अपने ऊपर ही उठा रखी है. संघर्षों से जूझते हुए राम नंदन सिंह जगदीप नारायण उच्च माध्यमिक इंटर काॅलेज, चकहबीव में उसने नामांकन करा लिया. गणेश की मानें, तो रिजल्ट निकलने से पूर्व ही वह अपने चाचा की मौत की खबर पर मुर्शीदाबाद चला गया. लौटने के क्रम में अखबार से ही उसे टाॅपर होने की जानकारी मिली, तो वह सीधे काॅलेज पहुंचा.

वर्ष 13 में मिली काॅलेज को स्वीकृति

समस्तीपुर के तत्कालीन डीइओ जयचंद श्रीवास्तव के कार्यकाल में इस काॅलेज को बिहार बोर्ड से मान्यता मिली थी. उस वक्त काॅलेज चेयरमैन प्रो राजमणि सिंह हुआ करते थे. काॅलेज की वर्तमान व्यवस्था देख कर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि चार वर्ष पहले इसकी क्या स्थिति रही होगी और किन परिस्थितियों में जिला शिक्षा पदाधिकारी से लेकर बोर्ड के अधिकारियों ने इस काॅलेज को स्वीकृति प्रदान की होगी.
स्कूल के सचिव और डीइओ कर रहे बचाव
स्कूल के संस्थापक सचिव जवाहर प्रसाद सिंह ने कहा कि टाॅपर छात्र ने स्वयं उपस्थित होकर मीडियाकर्मियों के समक्ष उनके प्रश्नों का उत्तर दिया है. अनावश्यक रूप से इसे तूल दिया जा रहा. समस्तीपुर के डीइओ बीके ओझा ने कहा कि बच्चे की बात को सीधे सीधे न रख कर मीडियावाले अपने मुताबिक उसे परोस रहे हैं. अब तक इस संबंध में किसी तरह की विभागीय सूचना नहीं है. आदेश के अनुरूप कदम उठाया जायेगा.

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