डीओपीटी के नियमों के अनुसार देश के 2000 IAS-IPS अफसरों पर डिफॉल्टर होने का  ठप्पा लग चुका है। ये ऐसे अफसर हैं, जिन्‍होंने संपत्तियों के हिसाब-किताब से जुड़ा इम्मूवेबल प्रॉपर्टी रिटर्न 2014 से लेकर 2017 तक के रिटर्न भी नहीं भरे हैं। देश के अफसर संपत्तियों का खुलासा करने से बच रहे हैं।

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नौकरशाही डेस्‍क

दरअसल, अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968  के नियम 16(2) के तहत हर आईएएस-आईपीएस अफसर को अचल संपत्तियों यानी जमीन-जायदाद, मकान आदि के बारे में सूचनाएं देनी होती हैं, जिसे Immovable Property Return (IPRs) कहते हैं। अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के अफसरों के लिए हर साल रिटर्न भरने का सख्त नियम है। जमीन,जायदाद और मकान आदि से जुड़े इस अचल संपत्ति रिटर्न को भरने में फेल होने पर विजलेंस क्लीयरेंस और प्रमोशन आदि के लाभ से वंचित करने की चेतावनियों को भी अफसर दरकिनार कर दे रहे।

साल 2018 के लिए इम्मूवेबल प्रॉपर्टीज (अचल संपत्तियों) रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जनवरी है। मगर अब तक साढ़े पांच हजार से ज्यादा आईएएस-आईपीएस अफसरों ने रिटर्न नहीं भरे हैं। हालांकि, ये अफसर अभी रिटर्न जमा कर खुद को डिफॉल्टर घोषित होने से बचा सकते हैं।

टीवी चैनल एनडीटीवी ने जब केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग में देश भर के आईएएस-आईपीएस अफसरों की ओर से दाखिल IPR के आंकड़ों का परीक्षण किया तो पता चला कि तमाम अफसर नियम-कायदों को दरकिनार कर अपनी संपत्तियों का खुलासा करने से बच रहे हैं।

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग(डीओपीटी) के मुताबिक, वर्ष 2014 में अर्जित संपत्तियों का 1164 आईएएस अफसरों ने रिटर्न ही नहीं दाखिल किया। इसके अलावा 2015 का 1137 आईएएस ने ब्यौरा नहीं दिया। बता दें कि देश में 6396 पदों की तुलना में 4926 आईएएस कार्यरत हैं, जबकि आईपीएस अफसरों के कुल 4802 पदों की तुलना में 3894 आईपीएस कार्यरत हैं।

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