उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 1931 में पहली जातीय गणना के 83 वर्षों के बाद केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने 2021 में जातीय गणना कराने का निर्णय लिया है। जातीय गणना के आंकड़ों के आधार पर आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए कोर्ट की बाधा दूर करने के साथ जरूरत पड़ी तो सरकार संविधान संशोधन भी करेगी।

Sushil Modi

नौकरशाही डेस्‍क

मोदी आज भाजपा अति पिछड़ा वर्ग मोर्चा की ओर से रवीन्द्र भवन में आयोजित ‘जननायक कर्पूरी ठाकुर जयंती समारोह’ को सम्बोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्‍होंने कहा कि पंचायत चुनाव में अभी अति पिछड़ा को 20 और एससी/एसटी को 17 प्रतिशत आरक्षण है। 13 प्रतिशत तक और आरक्षण की सीमा अगले पंचायत चुनाव तक बढ़ाई जा सकती है।

[tabs type=”horizontal”][tabs_head][tab_title][/tab_title][/tabs_head][tab][/tab][/tabs]

27 साल क्‍यों नहीं कराया पंचायत चुनाव

इस दौरान मोदी ने राजद से पूछा कि 27 साल तक बिहार में पंचायत चुनाव क्यों नहीं कराया गया? 2003 में हुए पंचायत चुनाव में एससी/एसटी और अतिपिछड़ों को आरक्षण से वंचित क्यों किया गया? कर्पूरी ठाकुर द्वारा आर्थिक आधार पर दिए गए 3 प्रतिशत आरक्षण को 1992 में क्यों समाप्त किया गया? अतिपिछड़ों को पिछले विस चुनाव में भाजपा ने 25 तो राजद ने मात्र 5 टिकट क्यों दिया? व 10 साल तक केन्द्र की सत्ता में रहने के बावजूद कर्पूरी फॉर्मूले के समान पिछड़ा वर्ग की सूची के वर्गीकरण का प्रयास क्यों नहीं किया?

Read This : Surgical Strike: फेसबुक पर Tejashwi के तूफान में कैसे धाराशाई होते जा रहे हैं Nitish और Modi

आयोग का गठन क्यों नहीं पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन

उन्‍होंने कांग्रेस से पूछा कि 45 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद पिछड़े वर्गों के लिए आयोग का गठन क्यों नहीं किया? मंडल व मुंगेरीलाल कमीशन की रिपोर्ट लागू क्यों नहीं किया? पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा क्यों नहीं दिया? पिछड़ा/अतिपिछड़ों की सूची का वर्गीकरण क्यों नहीं किया? 1931 के बाद जाति गणना क्यों नहीं करायी गयी? गरीब सवर्णों को आरक्षण क्यों नहीं दिया? 2015 के बिहार विस चुनाव में एक भी अति पिछड़ा को टिकट क्यों नहीं दिया?

See This : [tabs type=”horizontal”][tabs_head][tab_title][/tab_title][/tabs_head][tab][/tab][/tabs]

आरक्षण व आउटसोर्सिंग में लागू होगा आरक्षण

उन्‍होंने कहा कि नमो की सरकार ने पिछड़े वर्गों के आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के साथ ही केन्द्रीय सेवाओं में आरक्षण के लिए कर्पूरी फार्मूला के तर्ज पर सूची वर्गीकरण के लिए रोहिणी कमीशन का गठन और एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम में संशोधन किया। बिहार में जब एनडीए की सरकारी बनी तो अति पिछड़ों को पंचायत चुनाव में 20 प्रतिशत आरक्षण व आउटसोर्सिंग में आरक्षण का प्रावधान लागू किया गया। 1978 में जब जनसंघ सरकार में था तो अतिपिछड़ों को आरक्षण दिया गया। मंडल कमीशन की रिपोर्ट को 10 वर्षों तक कांग्रेस लागू नहीं की, 1989 में जब भाजपा के सहयोग से वी पी सिंह की सरकार बनी तो पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया।

Read This : आरक्षण के लिए विभाग को इकाई माना जाएगा, विश्‍वविद्यालय को नहीं

By Editor