29 वें दिन पुल बहा, 23 वें दिन अस्पताल की छत गिरी : तेजस्वी

न्यू इंडिया और नए बिहार में एक बड़ी समानता है। विपक्ष कितना भी बड़ा आरोप लगाए, लेकिन जांच तो दूर, चर्चा भी नहीं होगी। तेजस्वी ने फिर लगाया बड़ा आरोप।

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पिछले साल गोपालगंज में उद्घाटन के 29 वें दिन पुल का एप्रोच रोड पानी में बह गया था। भ्रष्टाचार के आरोप लगे, पर कोई जांच नहीं हुई। अब पटना के प्रतिष्ठित आईजीआईएमएस के एक भवन की छत उद्घाटन के 23 वें दिन ही भरभराकर गिर गई।

आज विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया-माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी ने 23 दिन पहले पटना में 120 करोड़ की लागत से निर्मित IGIMS के कैंसर इंस्टिट्यूट की बिल्डिंग का लोकार्पण किया था लेकिन चंद दिनों में ही बिल्डिंग के हिस्से भरभरा कर गिर गए। भ्रष्टाचार का कोई खेल नहीं बस नवनिर्मित बिल्डिंग को गिरना था, गिर गयी।

सत्ताधारी दल मानकर चल रहा है कि भ्रष्टाचार से बिहार की जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता। एक जमाना था, जब विपक्ष के नेता के आरोप पर सरकार तुरत सक्रिय होती थी, अब तो जांच नहीं, कार्रवाई नहीं, उल्टे आरोप लगानेवाले का ही इतिहास खंगालने का चलन है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी जानते हैं कि सरकार को आरोप से कोई फर्क नहीं पड़ता। इसीलिए उन्होंने व्यंग्य की भाषा में कहा कि बिल्डिंग को गिरना था, गिर गई, इसमें सरकार क्या करे?

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राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने आज दलों के कार्यालयों का मामला फिर उठाया। कहा कि 2006 में जनता दल को जो कार्यालय मिला था, क्या आज वही है? जदयू ने आसपास के कई विधायक फ्लैट को तोड़कर अपने पार्टी कार्यालय का हिस्सा बना लिया। कल तेजस्वी ने बाजाप्ता किस पार्टी को कितनी जगह दी गई है, उस पर सवाल उठाया था। इस सवाल पर भी सत्ताधारी दल ने कोई तर्कपूर्ण जवाब नहीं दिया। सवाल किया गया कि राजद को छोटा कार्यालय क्यों, और मुख्यमंत्री का जवाब है कि कार्यालय हमने दिया, उन्होंने अपने समय में नहीं दिया।

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