कशमीर मुद्दे पर बुरी तरह विफल रहने के बाद अब केंद्र सरकार देश के सामने कशमीर को लेकर झूठ परोस रही है।  2-4 दिनों से एक झूठ जो  परोसा जा रहा है कि केंद्र सरकार कश्मीरी अलगाववादियों की सभी सरकारी सुविधा वापस ले लेगी।kashmir

काशिफ यूनुस

कहा जा रहा है कि अलगाववादियों की सुरक्षा अवाम दूसरी चीजों पैर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे थे जोकि अब केंद्र सरकार वापिस ले लेगी।

मोदी सरकार ऐसा प्रचार कर जहाँ एक तरफ अपनी पीठ थपथपा रही है वहीँ दूसरी तरफ ये जताने की कोशिश कर रही है के पिछली कांग्रेस सरकार ने अलगाव वादियों  को अपना दामाद बनाया हुआ था और उनसे असल दुश्मनी तो हम ही निभा रहे हैं।

 

अब आये देखते हैं की इस दावे की हक़ीक़त क्या है।  किन अलगाववादियों को क्या सुविधाएँ पहले से प्राप्त थीं जिन्हें मोदी सरकार अब वापिस लेने वाली है।

सुरक्षा

केंद्र सरकार ऐसा दिखा रही है के जैसे सभी अलगाववादी नेताओं को भारी सुरक्षा दे रही हो केंद्र सरकार और अब ये सुरङ वापिस ले ली जाएगी जिससे अलगाववादी नेताओं को भारी सुरक्षा संकट खड़ा हो जायेगा और केंद्र सरकार के सरकारी कोष के काफी पैसे बच जाएंगे।  हालांकि हक़ीक़त ये है के किसी अलगाववादी नेता को कोई सुरक्ष केंद्र सरकार के द्वारा नहीं दी गयी है।  कश्मीर की जामा मस्जिद के इमाम मीर वाइज़ को ज़रूर जेड सुरक्षा दी गयी है लेकिन ये सुरक्षा उनकी राजनितिक हैसियत को लेकर नहीं बल्कि उनकी धार्मिक हैसियत को लेकर उन्हें दी गयी है।  ज्ञात हो की दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम को भी सरकारी सुरङा प्राप्त है.

मीर वाइज़ को भी ये सुरक्षा उनके जामा मस्जिद का इमाम होने के कारण है ना की हुर्रियत का नेता होने के कारण।  अगर उन्हें ये सुरक्षा हुर्रियत के नेता होने के कारण दी गयी है तो हुर्रियत के बाक़ी नेताओं को सुरछा क्यों नहीं दी गयी है ? खुलासा ये कि सुरक्षा देने और उसे हटाने के ये प्रचार भारत के नागरिकों के आँख में धूल झोंकने से ज़्यादा और कुछ भी नहीं है।

इलाज पर खर्च

कहा जा रहा है के पूर्व में सरकार अलगाववादी नेताओं के इलाज पर लाखों खर्च कर चुकी है और अब उनके इलाज पर कोई खर्च सरकार नहीं उठायेगी।  ये दावा भी खोखला और निराधार है।  सरकार ने कभी किसी अलगाववादी नेता के इलाज पर कोई खर्च नहीं किया।  हाँ ये ज़रूर है की यासीन मल्लिक और अली शाह गिलानी जब जेल में थे तो उनका इलाज सरकार ने करवाया था जैसा की किसी भी क़ैदी का इलाज सरकारी खर्च से होता है।  तो क्या सरकार ये कहना चाहती है के वो किसी अलगाववादी नेता को अब गिरफ्तार करेगी तो बीमार पड़ने पर उसका इलाज नहीं कराएगी जैसा की जेल के किसी भी क़ैदी का इलाज सरकार करवाती है।

लगता है सरकार देश के क़ानून , जेल मैन्युअल, कोर्ट की व्यवस्था और यूनाइटेड नेशन के डेक्लारेशन्स सबको भूल चुकी है या सरकार सबकुछ जानते हुए भी के ऐसा मुमकिन नहीं है इस झूठ को प्रचारित कर भारत के नागरिकों को बेवक़ूफ़ बना रही है और झूठ की बुनियाद पर सस्ती वाह – वाही लूटने की कोशिश की जा रही है।

 

 

एक खबर ये भी फैलाई जा रही है के सरकार उनका पासपोर्ट और  ट्रेवल डॉक्यूमेंट  ज़ब्त कर लेगी और उन्हें विदेश यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी।  ज्ञात हो की जितने भी अलगाव वादी नेताओं को विदेश यात्रा से सम्बंधित जो भी काग़ज़ात दिए गए थे वो सब काग़ज़ात एक्सपायर हो चुके हैं लिहाज़ा वो वैसे भी विदेश जाने की हालत में नहीं हैं और अगर  सरकार उनके एक्सपायर हो चुके ट्रेवल डॉक्यूमेंट को ज़ब्त करने में अपना समय  बर्बाद करना चाहती है तो इसमें कोई क्या कह सकता है।

 

मतलब माजरा  ये है की  किसी अलगाव वादी नेता को अलग  से कोई  ख़ास सरकारी सुविधा प्राप्त ही नहीं है जो सरकार वापिस ले ले और जो आम नागरिक या क़ैदी की हैसियत से सुविधाएँ उन्हें मिलती  रही हैं वो अब भी मिलती रहेंगी क्योंकि क़ानूनी प्रावधान ऐसा ही है।

फिर ये मोदी जी या उनके गृह मंत्री राजनाथ सिंह को ही बेहतर पता होगा के अलगाव वादी नेता को दी जा रही किन सुविधाओं पर लाखों करोड़ों खर्च हो रहे थे जोके अब न

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