5 जजों का फैसला EWS जारी रहेगा, जजों में कोई दलित-पिछड़ा नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण पर बड़ा फैसला सुनाया है। ईडब्ल्यूएस आरक्षण जारी रहेगा। इन पांच जजों में कोई दलित-पिछड़ा नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को सैक्षणिक संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण के फैसले पर मुहर लगा दी है। पांच जजों की संवेधानिक बेंच ने यह फासला सुनाया है। पांच में तीन जज इस कोटे के पक्ष में थे, जबकि दो जज विरोध में थे। अधिकतर राजनीतिक दलों ने फैसले का स्वागत किया है, वहीं लेखक अशोक कुमार पांडेय ने महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने कहा कि इन पांच जजों में कोई भी दलित, पिछड़ा वर्ग के जज नहीं थे।

बिहार में जदयू और हम ने इस फैसले का स्वागत किया है। राजद ने अब तक प्रतिक्रिया नहीं दी है। भाजपा तो समर्थन में है ही। इस बीच लेखक अशोक कुमार पांडेय ने महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने कहा-पाँच जज जिसमें कोई दलित पिछड़ा आदिवासी नहीं। आप बताइए यह निर्णय दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों को क्यों न खले? कभी पाँच दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों को सवर्णों से सम्बन्धित निर्णय करते देखा है? लेखक पहले भी ईडब्ल्यूएस नाम पर सवाल उठा चुके हैं। जब यह कोटा आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए है, तो इसके तहत केवल सवर्ण गरीब को ही मौका क्यों दिया जाता है। अगर सवर्णों को ही कोटा देना है, तो इसके नाम में ही सवर्ण जोड़ना चाहिए।

कई राजनीतिक दलों ने फैसले पर असंतोष भी जताया है। इस फैसले से दलित-पिछड़े वर्ग में उदासी देखी जा रही है, वहीं सवर्ण तबके में खुशी देखी जा रही है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्तालिन ने ट्वीट किया- सुप्रीम कोर्ट द्वारा EWS कोटा को जारी रखना सदियों से जारी सामाजिक न्याय के आंदोलन के लिए धक्का है। उन्होंने इस कोटे को अन्यायपूर्ण बताते हुए सभी राजनीतिक दलों से एक साथ आ कर आंदोलन तेज करने की अपील की है।

पत्रकार विवेकानंद सिंह ने कहा-सुप्रीम कोर्ट का फैसला वैचारिक ज्यादा और तार्किक कम नजर आ रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर ओबीसी, एससी, एसटी को भी ईडब्ल्यूएस या कास्ट बेस्ड आरक्षण में से किसी एक को चुनने की आजादी होनी चाहिए।

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