किसानों का बड़ा फैसला, बंगाल चुनाव में करेंगे भाजपा का विरोध

किसान आंदोलन में नया मोड़ आ गया है। पहली बार किसान नेताओं ने घोषणा की है सरकार ‘ वोट का चोट ‘ की भाषा समझती है। इसलिए किसानों का दल बंगाल-असम जाएगा।

किसान आंदोलन अब एक बिल्कुल ही नए पड़ाव पर पहुंच गया है। तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर शुरू हुआ किसान आंदोलन खेत बचाओ आंदोलन में बदला, फिर देश बचाने का नारा दिया। अब पहली बार कल किसान नेताओं की बैठक में फैसला हुआ कि जहां-जहां चुनाव हो रहे हैं, उन राज्यों में किसान नेता भाजपा को वोट न देने की अपील करने के लिए दौरा करेंगे। किसान नोताओं की पहली रैली 12 मार्च को कोलकाता में होगी। उस दिन वे बंगाल में भाजपा को वोट न देने की अपील करेंगे।

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सरकार ने पहले किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए सड़क खोद डाले, फिर किसानों को आतंकवादी, टुकड़े-टुकड़े गैंग और खालिस्तानी बताया गया, 26 जनवरी की घटना के बाद नेताओं को नोटिस दी गए, अनेक नेता गिरफ्तार किए गए, सैकड़ों किसानों को जान गंवानी पड़ी, इस तरह सरकार के ऐसे कदमों से किसान आंदोलन कमजोर होने के बजाय बढ़ता गया। अब वह पूरी तरह राजनीतिक आंदोलन में बदल गया है।

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किसान नेताओं का जत्था बंगाल, असम सहित उन सभी राज्यों में जाएगा, जहां चुनाव हो रहे हैं। इन राज्यों में वे रैली करेंगे और भाजपा को वोट नहीं देने की अपील करेंगे। किसान नेताओं की पहली रैली कोलकाता में 12 मार्च को होगी। पांच राज्यों में हो रहे चुनाव में भाजपा के लिए बंगाल चुनाव सबसे अहम है।

किसान नेताओं ने कहा कि 6 मार्च को आंदोलन के 100 दिन पूरे हो जाएंगे। इस दिन देश के किसान काला झंडा फहराएंगे। सरकार के खिलाफ अन्य लोकतांत्रित तरीके से भी किसान विरोध करेंगे।

किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि 15 मार्च तक के कार्यक्रम तय कर लिये गए हैं। 6 मार्च को ही कुंडली-मनेसर-पलवल हाईवे जाम किया जाएगा।

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