Advantage Care : डायबटीज व हाई बीपी किडनी फेल का बड़ा कारण

किडनी फेल होने की बीमारी महामारी की तरह बढ़ रही है। पारस एचएमआरआई अस्पताल के गुर्दा रोग व प्रत्यारोपण विभाग के डॉक्टर शशि से जानिए बचाव के उपाय।

डॉ. शशि कुमार

परिचय-डॉ. शशि कुमार पारस एचएमआरआई अस्पताल के गुर्दा रोग और प्रत्यारोपण विभाग में सीनियर कंसल्टेंट हैं। मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद पिछले सात वर्ष से पारस अस्पताल में ही डॉक्टर हैं। इन्होंने ग्रांड मेडिकल कॉलेज(मुंबई) से एमबीबीएस किया है जबकि पीएमसीएच (पटना) से एमडी की पढ़ाई की। सुपर स्पेशियलिटी कोर्स ‘डीएम’ एसजीपीजीआई(लखनऊ) से किया है। एसजीपीजीआई(लखनऊ) से ही गुर्दा प्रत्यारोपण में पोस्ट ग्रेजुएशन फेलोशिप भी किया है। डॉ. शशि फेलो ऑफ अमेरिकन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी से भी नवाजे गए हैं। द टाइम्स ऑफ इंडिया के देश के टॉप-100 नेफ्रोलॉजिस्ट में शामिल हैं। इनका राजा बाजार के मंगल मार्केट के बगल में अपना क्लीनिक भी है।

प्रश्न: किडनी फेल की समस्या बढ़ रही है। इसकी मुख्य वजह क्या है?
उत्तर: देश में यह नई महामारी के रूप में उभरा है। इसकी मुख्य वजह मधुमेह और उच्च रक्तचाप के रोगियों का बढ़ना है। हर दूसरा मधुमेह का रोग किडनी का रोगी है। एक अन्य कारण देश की औसत आयु का बढ़ना भी है। देश की औसत आयु बढ़ी है तो यह रोग भी बढ़ा है। हमारी दिनचर्या भी किडनी रोग को आमंत्रित कर रहा है। हम बैठकर ज्यादा काम कर रहे हैं। एक अन्य कारण, तनाव भी है।

प्रश्न: कुछ डॉक्टरों का कहना है कि दर्द की दवाइयों का अत्यधिक सेवन भी किडनी रोग का कारण है। इसमें कितनी सच्चाई है?
उत्तर: दर्द की दवाइयां और एंटीबॉयोटिक्स का अत्यधिक इस्तेमाल भी किडनी रोग व फेल होने का बड़ा कारण है। भारत में किडनी रोग का यह तीसरा सबसे बड़ा कारण है।

प्रश्न: किडनी रोग से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर:मधुमेह और रक्तचाप को नियंत्रित रखें। समय-समय पर जांच कराते रहें। खाना में चीनी और नमक की मात्रा का कम इस्तेमाल करें। धूम्रपान और शराब का सेवन नहीं करें। बेहतर लाइफ स्टाइल रखें। समुचित व्यायाम करें और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें।

प्रश्न:कैसे कोई पता करे कि उसका किडनी से सही से काम कर रहा है या नहीं?
उत्तर: किडनी रोग के शुरुआत में कोई तकलीफ नहीं हो सकता है। इसलिए समय-समय पर जांच की जरूरत पड़ती है। जिनके की उम्र 50 से अधिक हो गई है, घर में कोई किडनी का रोगी है, मधुमेह या उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, जिनको पथरी की शिकायत है, बार-बार पेशाब का इंफेक्शन होता है, मोटापा है या दर्द की दवा का अधिक इस्तेमाल करते हैं; ऐसे लोग हाई रिस्क जोन में होते हैं। इन्हें नियमित जांच कराते रहना चाहिए। शुरुआत में क्रिएटिनिन और पेशाब जांच से किडनी रोग का पता चल जाता है।

प्रश्न: किडनी रोग के क्या लक्षण होते हैं?
उत्तर: पैर और चेहरा में सूजन, भूख की कमी, उल्टी या मितली होना, सांस फूलना, बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होना, रात में बार-बार पेशाब करने के लिए उठना, कमजोरी, थकावट, बदन दर्द आदि किडनी रोग के मुख्य लक्षण हैं।

प्रश्न: किडनी से संबंधित किस तरह के रोग होते हैं?
उत्तर: किडनी रोग को दो भागों में बांटा जाता है। मेडिकल और सर्जिकल। सर्जिकल में किडनी का पथरी, किडनी का कैंसर, पेशाब की रुकावट और प्रोस्टेट ग्रंथी का बढ़ना शामिल है। वहीं मेडिकल में एक्युट किडनी इंज्युरी और क्रॉनिक किडनी फेल्योर होता है। एक्युट किडनी इंज्युरी में अचानक किडनी का खराब होती है। यह कुछ घंटा या कुछ दिन हो सकता है। इसका कारण इंफेक्शन, दर्द की दवा, ट्रामा एक्सीडेंट, हार्ट अटैक, डिहाइड्रेशन आदि होता है। यह समुचित इलाज से ठीक हो सकता है। वहीं क्रॉनिक किडनी फेल्योर कई सालों में होता है। यह उच्च रक्तचाप, मधुमेह या ग्लोमेरुली नेफ्रैटिस के कारण होता है। इस तरह की बीमारी में किडनी धीरे-धीरे खराब होती है, जो ठीक नहीं होता है। अंतत: मरीज को डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ती है। इस अवस्था में दवाई का मुख्य लक्ष्य होता है बीमारी को आगे बढ़ने से रोकना या धीरे करना ताकि मरीज को उसके जीवन काल में डायलिसिस या प्रत्यारोपण की आवश्यकता न पड़े। किडनी के मरीजों में मुख्यत: प्राइमरी डिजिज और उसे उत्पन्न होनेवाले जटिलताओं की दवाई की जाती है।

प्रश्न: क्या किडनी रोग अनुवांशिक भी होता है?
उत्तर: हां कुछ किडनी रोग अनुवांशिक होते हैं। माता-पिता से उसके बच्चों में यह ट्रांसफर होता है।

प्रश्न: इसके रोकथाम का कोई उपाय है?
उत्तर: जब बच्चा गर्भ में हो तो जीन थेरेपी से ठीक किया जा सकता है। बच्चे के जन्म के बाद संभव नहीं है। यदि किसी को किडनी की समस्या है तो गर्भधारण के समय ही इसका उपाय करें। लेकिन इसमें समस्या है कि किडनी का रोग 30 वर्ष के बाद उभरता है। तब तक फैमिली प्लानिंग हो चुकी होती है।

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प्रश्न: क्या शुरुआत में ही अनुवांशिक किडनी रोग का धीमा किया जा सकता है?
उत्तर: हां, धीमा किया जा सकता है, लेकिन रोका नहीं जा सकता है।

प्रश्न: किडनी डायलिसिस क्या होता है? इसकी क्यों आवश्यकता पड़ती है?
उत्तर: यह एक कृत्रिम व्यवस्था है। किसी व्यक्ति की किडनी इस कदर खराब हो गई हो कि वह शरीर में उत्पन्न जहरीले या टॉक्सिक पदार्थ को नहीं निकाल पा रहा है तो ऐसे टॉक्सिक पदार्थ को शरीर से निकालने की कृत्रिम व्यवस्था को डायलिसिस कहते हैं। डायलिसिस दो प्रकार का होता है। एक प्रकार में खून के द्वारा डायलिसिस होता है। इसे ह्यूमो डायलिसिस कहते हैं। इसमें मरीज को हर सप्ताह दो-तीन बार अस्पताल जाना पड़ता है। यह पूरे जीवन चलता है। दूसरी तरह की डायलिसिस घर पर ही हो सकती है। इसे पेरीटोनियल डायलिसिस कहते हैं।

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प्रश्न: क्या किडनी डायलिसिस का खर्च कम करने का कोई तरीका है?
उत्तर: यह महंगा इलाज है। फिर भी डायलेजर(कृत्रिम किडनी) को बार-बार इस्तेमाल कर के खर्च कम किया जा सकता है।

By Editor